प्रयाग को तीर्थराज कहा गया है। इसी के चलते यहां बसे नगर का नाम प्रयागराज पड़ा। एक निश्चित कालखंड के लिए तीर्थराज ने इलाहाबाद नाम की ओढ़नी ओढ ली थी लेकिन अब फिर यह प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंत्रिपरिषद इस बारे में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से संत समाज उत्साहित है। वास्तव में इसका पौराणिक नाम प्रयागराज ही है। अकबर के शासनकाल में इसका नाम इलाहाबाद कर दिया गया था। रामचरित मानस, वाल्मीकि रामायण और मत्स्य पुराण में इसके महात्म्य का वर्णन है। सबसे प्राचीन और प्रामाणिक वर्णन मत्स्य पुराण में है। उसके मुताबिक प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती हैं। अब 2019 में होने वाला कुंभ इलाहाबाद की जगह प्रयागराज में होगा। 
संगम जल से राजाओं का अभिषेक
रामचरित मानस में इसे प्रयागराज ही कहा गया है। संगम के जल से प्राचीन काल में राजाओं का अभिषेक होता था। इस बात का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है। वन जाते समय श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। भगवान राम के प्रयागराज पहुंचने का जिक्र आया। पौराणिक और धार्मिक महत्व को देखते वर्षों से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की मांग उठती आ रही थी। मगर किभी इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया। मार्च 2017 को योगी सरकार उत्तर प्रदेश में आई तो वादा भी किया कि वह इलाहाबाद प्रयागराज कर देंगे। इसके बाद कई संतों ने उन्हें उनके वादे को याद दिलाया तो मुख्यमंत्री ने इसको अमली जामा पहनाने की शुरुआत कर दी।
कुछ ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक अकबर की बनाई आचार संहिता में दीन-ए-इलाही के समर्थन में प्रयागराज का नाम इलाहाबाद कर दिया था। दीन-ए-इलाही सोलहीं सदी में मुगल सम्राट अकबर का चलाया समरूप धर्म जैसा था जिसमें सभी धर्मों के मूल तत्वों को शामिल किया गया था। इसमें सनातन और इस्लाम प्रमुख थे। पारसी, जैन और ईसाई विचारों को भी सम्मिलित किया गया था। इस के प्रचार के लिए अकबर ने ज्यादा कुछ नहीं किया केवल विश्वस्त लोगों को सम्मिलित किया। दीन-ए-इलाही सही मायनों में धर्म न होकर एक आचार संहिता जैसा रहा। इसमें भोग, घमंड, निंदा या दोष लगाने को पाप कहा गया था। दया, विचारशीलता और संयम इसके सकारात्मक आधार थे। इलाहाबाद का नाम करीब साढ़े चार सौ साल बाद फिर से प्रयागराज होने जा रहा है।अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से 1574 के आसपास प्रयागराज में किले की नींव रखी गई थी अकबर ने यहां नया नगर बसाया जिसका नाम उसने इलाहाबाद रखा। उसके पहले तक इसे प्रयागराज के ही नाम से जाना जाता था।
 Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
 
		
 
 
						
 
						
 
						
 
						
 
						
