प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों के खिलाफ ईडी की जांच चल रही है। इस जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाया कि टॉप एक्सचेंजों ने अपने ग्राहक के केवाईसी नियमों और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) मानदंडों का ठीक से पालन नहीं किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टॉप क्रिप्टो एक्सचेंजों ने केवाईसी और एएमएल नियमों का पालन किए बिना अन्य देशों से लेनदेन की सुविधा प्रदान की, जबकि क्रिप्टो एक्सचेंजों ने पिछले तीन वर्षों में टाइगर ग्लोबल, सिकोइया जैसी वैश्विक वीसी (वेंचर कैपिटल) फर्मों से धन प्राप्त किया।
ईडी ने जांच में पाया कि क्रिप्टो एक्सचेंजों ने विदेशी क्रिप्टो एक्सचेंजों के वॉलेट इन्फ्रा-स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया। यहां तक कि WzirX, CoinDCX, CoinSwitch जैसे प्रमुख एक्सचेंजों ने भारत से बाहर तीसरे पक्ष के एक्सचेंजों का उपयोग करके एक क्रिप्टो को दूसरे में बदलने के लिए विदेशी उपयोगकर्ताओं के अनुरोध को सुविधाजनक बनाकर कमीशन हासिल किया।
जबकि क्रिप्टो प्लेयर्स बिना किसी पहचान के क्रिप्टो लेनदेन की अनुमति दे रहे हैं। क्रिप्टो प्लेयर्स में से एक ने कहा कि उसने पूछताछ के दौरान उपयोगकर्ताओं के केवल इंटरनेट प्रोटोकॉल पते पर कब्जा कर लिया था। एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने रिपोर्ट में बताया। इस महीने की शुरुआत में एजेंसी ने प्रमुख एक्सचेंजों को नोटिस भेजा और विदेशी मुद्रा उल्लंघन के कथित मामलों में अपनी जांच के हिस्से के रूप में क्रिप्टो एक्सचेंजों से और विवरण और दस्तावेज मांगे।
कॉइनस्विच कुबेर के प्रवक्ता ने बताया था कि हमें विभिन्न सरकारी एजेंसियों से प्रश्न प्राप्त होते हैं। हमारा दृष्टिकोण हमेशा पारदर्शिता का रहा है। क्रिप्टो एक प्रारंभिक चरण का उद्योग है, जिसमें बहुत अधिक संभावनाएं हैं और हम लगातार सभी हितधारकों के साथ जुड़ते हैं।
आपको बता दें कि भारत सरकार ने शुरू से ही देश में क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन को खतरे के तौर पर देखा है। हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे देश के लिए खतरा बताया था। यही कारण है कि क्रिप्टो एक्सचेंजों की न केवल ईडी बल्कि आयकर विभाग और जीएसटी आयुक्तालय भी इस मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं।