प्रदेश में खाद-बीज की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं होगी, सीएम ने की उपलब्धता और वितरण की समीक्षा

मध्य प्रदेश में खाद के लिए किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। लंबी लंबी लाइनों में लगने के बावजूद खाद नहीं मिल रहा है। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर कहा कि प्रदेश में खाद-बीज की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मानसून खत्म होते ही किसान रबी की सीजन में सरसों, गेहूं, चना समेत अन्य फसलों की बुआई शुरू कर देते हैं। इसके चलते कृषि केंद्रों पर खाद का वितरण शुरू हो गया है। किसानों को कई जगह लंबी लंबी लाइनों में लगकर खाद लेने का इंतजार करना पड़ रहा है। किसी को खाद मिल रहा है तो किसी को नहीं मिल रहा है। इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में खाद-बीज की उपलब्धता और वितरण की स्थिति की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में खाद-बीज की कालाबाजारी बर्दाश्त नहीं होगी।

सीएम ने निर्देश दिए कि जो कालाबाजारी करते पाया जाए उस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाई सुनिश्चित की जाए। रबी सीजन में किसानों को खाद-बीज की कमी नहीं रहे। इसके लिए अभी से ही खाद-बीज के भण्डारण और आपूर्ति करने की व्यवस्था की जाए। बैठक में किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना, मुख्य सचिव वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ. राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त मोहम्मद सुलेमान तथा अपर मुख्य सचिव किसान कल्याण एवं कृषि विकास अशोक वर्णवाल तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्लॉक स्तर पर कृषि विकास अधिकारियों को 15 अक्टूबर तक प्रशिक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में फसलों के बोने के क्षेत्र चिन्हित कर आवश्यकतानुरूप खाद-बीज की व्यवस्था करें। अक्टूबर-नवम्बर माह में खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे, जिससे किसानों को कोई असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि जन-प्रतिनिधियों एवं जिलों के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से खाद-बीज की उपलब्धता के संबंध में चर्चा की जाएगी।

डीएपी का आवंटन बढ़ा
बैठक में जानकारी दी गई कि भारत सरकार ने डीएपी का आवंटन बढाकर 8 लाख मीट्रिक टन कर दिया है, जबकि रबी 2024-25 के लिए 6 लाख मीट्रिक टन डीएपी के आवंटन की सहमति दी गई थी। डीएपी के स्थान पर एनपीके के उपयोग के लिए जिलों को निर्देश जारी किए गए, जिससे खरीफ 2024 में डीएपी की कमी परिलक्षित नहीं हुई। डीएपी की कमी की पूर्ति के लिए प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में यूरिया एवं एसएसपी उपलब्ध है।

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