बिजनौर बैराज से नरौरा बैराज तक गंगा का वातावरण डॉल्फिन को खूब भा रहा है। पिछले साल जहां गंगा के इस इलाके में 35 डॉल्फिन थीं, वहीं इस बार इनकी संख्या 41 हो गई है। डॉल्फिन का कुनबा बढ़ने से प्रकृति प्रेमी खुश हैं। गढ़मुक्तेश्वर से नरोरा बैराज के बीच ये पांच डॉल्फिन बढ़ी हैं।

डॉल्फिन को शिकारियों के जाल से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइउफ वार्डन ने सभी डीएफओ को टाइगर टास्क फोर्स की तर्ज पर डॉल्फिन टास्क फोर्स बनाकर रोजाना गंगा में बोट के जरिए पेट्रोलिंग करने के निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने बिजनौर बैराज और मुजफ्फरनगर में गंगा के क्षेत्र में शिकारियों द्वारा मछली पकड़ने के लिए जाल डालने पर नाराजगी भी जाहिर की है।
‘मेरी गंगा मेरी सूंस अभियान’ के तहत पांच से 11 अक्तूबर तक गंगा में वन विभाग और डब्लूडब्लूएफ की टीम ने दो बोट के जरिए डॉल्फिन की गणना शुरू की। सोमवार को ‘बचाना सूंस की जान है गंगा का सम्मान’ अभियान के तहत ऑनलाइन समारोह का आयोजन किया गया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव सुनील पांडेय ने कहा कि डॉल्फिन का बढ़ना बहुत अच्छा प्रयास है। उन्होंने मेरठ जोन के मुख्य वन संरक्षक एनके जानू से कहा कि डॉल्फिन के संरक्षण के लिए टास्क फोर्स का गठन करके रोजाना पेट्रोलिंग कराएं। अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें।
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