पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि साल 2016 में भाजपा नीत सरकार द्वारा बगैर सोच-विचार के लिए गए नोटबंदी के फैसले के चलते देश में बेरोजगारी चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र खस्ताहाल है।
उन्होंने राज्यों से नियमित रूप से परामर्श नहीं करने को लेकर भी केंद्र की (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने मंगलवार को आर्थिक विषयों के ‘थिंक टैंक’ राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज द्वारा डिजिटल माध्यम से आयोजित एक विकास सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस दौरान सिंह ने कहा कि बढ़ते वित्तीय संकट को छिपाने के लिए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किए गए अस्थायी उपाय के चलते आसन्न ऋण संकट से छोटे और मंझोले (उद्योग) क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं और इस स्थिति की हम अनदेखी नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने प्रतीक्षा 2030 में कहा कि बेरोजगारी चरम पर है और अनौपचारिक क्षेत्र खस्ताहाल है। यह संकट 2016 में बगैर सोच-विचार के लिए गए नोटबंदी के फैसले के चलते पैदा हुआ है। सम्मेलन का आयोजन एक दृष्टि पत्र पेश करने के लिए किया गया, जो केरल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर विचारों का एक प्रारूप है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र में ‘न्याय’ जैसे विचार को शामिल करने को लेकर केरल की कांग्रेस नीत यूडीएफ के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में यह योजना पेश की गई थी, जिसका उद्देश्य गरीबों को प्रत्यक्ष नकद अंतरण (सीधे उनके बैंक खाते में पैसे) उपलब्ध कराना है।