पूरे परिवार को प्रभावित करती है भूलने की ये बीमारी, जानें- लक्ष्ण व इलाज

अल्जाइमर्स डिजीज को सिर्फ भूलने की बीमारी समझना एक भूल है, क्योंकि, रोगी की याददाश्त के अत्यधिक कमजोर होने के अलावा उसके परिवार के सदस्य भी अनेक समस्याओं से रूबरू होते हैं। आमतौर पर मिडिल एज व वृद्धावस्था में होने वाली इस जटिल बीमारी की चुनौती का सामना कैसे किया जाए? अल्जाइमर्स डिजीज डिमेंशिया का ही एक प्रकार है। डिमेंशिया की तरह अल्जाइमर्स में भी मरीज को किसी भी वस्तु, व्यक्ति या घटना को याद रखने में परेशानी महसूस होती है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी दिक्कत महसूस होती है। आइए जानते हैं इस मर्ज के विभिन्न पहलुओं के बारे में। वर्ल्ड अल्जाइमर डे के संदर्भ में विवेक शुक्ला ने की कुछ विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात…

क्या है अल्जाइमर

अल्जाइमर भूलने की बीमारी है। इसके लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना आदि शामिल हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सिर में चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थाई इलाज नहीं है।

उम्र बढ़ने के साथ तमाम लोगों में मस्तिष्क की कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) सिकुड़ने लगती हैं। नतीजतन न्यूरॉन्स के अंदर कुछ केमिकल्स कम हो जाते हैं और कुछ केमिकल्स ज्यादा हो जाते हैं। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में अल्जाइमर्स डिजीज कहते हैं। अन्य कारणों में 30 से 40 फीसदी मामले आनुवांशिक होते हैं। इसके अलावा हेड इंजरी, वायरल इंफेक्शन और स्ट्रोक में भी अल्जाइमर सरीखे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन ऐसे लक्षणों को अल्जाइमर्स डिजीज नहीं कहा जा सकता।

ब्रेन सेल्स जिस केमिकल का निर्माण करती हैं, उसे एसीटिलकोलीन कहते हैं। जैसे-जैसे ब्रेन सेल्स सिकुड़ती जाती है, वैसे-वैसे एसीटिलकोलीन के निर्माण की प्रक्रिया कम होती जाती है। दवाओं के जरिये एसीटिलकोलीन और अन्य केमिकल्स के कम होने की प्रक्रिया को बढ़ाया जाता है। बढ़ती उम्र के साथ ब्रेन केमिकल्स का कम होते जाना एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है लेकिन अल्जाइमर्स डिजीज में यह न्यूरो केमिकल कहीं ज्यादा तेजी से कम होता है। इस रोग को हम क्योर (यहां आशय रोग को दूर करने से है) नहीं कर सकते, लेकिन दवा देने से रोगी को राहत जरूर मिलती है। जांच: पॉजीट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी (पी. ई.टी.) जांच से इस रोग का पता चलता है। एमआरआई जांच भी की जाती है।

मस्तिष्क कोशिकाओं में केमिकल्स की मात्रा को संतुलित करने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है। दवाओं के सेवन से रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझबूझ में सुधार होता है। दवाएं जितनी जल्दी शुरू की जाएं उतना ही फायदेमंद होता है। दवाओं के साथ-साथ रोगियों और उनके परिजनों को काउंसलिंग की भी आवश्यकता होती है। काउंसलिंग के तहत रोगी के लक्षणों की सही पहचान कर उसके परिजनों को उनसे निपटने की सटीक व्यावहारिक विधियां बतायी जाती हैं।

अगर किसी व्यक्ति को अल्जाइमर्स डिजीज से संबंधित निम्नलिखित कोई लक्षण महसूस हों, तो उसे शीघ्र ही विशेषज्ञ डॉक्टर (न्यूरोफिजीशियन या न्यूरो सर्जन) से परामर्श करना चाहिए। डॉक्टर सबसे पहले यह निश्चित करते हैं कि वास्तव में ये लक्षण डिमेंसिया के प्रकार अल्जाइमर्स के हैं या फिर किसी और कारण से हैं। अल्जाइमर्स के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं

 स्मरण शक्ति में कमी के कारण पीड़ित व्यक्ति कई बातें भूलने लगता है। जैसे- नहाना भूल जाना।

– नाश्ता किया है या नहीं, यह भूल जाना।

दवा खाई है या नहीं यह भूल जाना।

– घर के लोगों के नाम भूल जाना या याद न रख पाना।

– वस्तुओं या जगह का नाम न याद रहना। जैसे गिलास है तो कटोरी कहना।

– अपने घर का रास्ता भूल जाना।

– संख्याओं को याद न रखना।

– अपने सामान को रखकर भूल जाना।

– अत्यधिक चिड़चिड़ापन महसूस करना।

– एक ही काम को अनेक बार करना या एक ही बात को बार-बार पूछते रहना।

’ बात करते समय रोगी को सही शब्द, विषय व नाम ध्यान में नहीं रहते।

याददाश्त में कमी की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को डॉक्टर के परामर्श से नियमित रूप से दवा लेनी चाहिए। अल्जाइमर्स के कुछ कारणों का इलाज सर्जरी से सफलतापूर्वक किया जा सकता है। जैसे सबड्यूरल हिमेटोमा, नार्मल प्रेशर हाइड्रोसेफेलस और ब्रेन ट्यूमर या सिर की चोट आदि कारणों से अगर व्यक्ति अल्जाइमर्स से ग्रस्त हो जाता है, तब कुछ मामलों में सर्जरी से सफलता मिलती है। इसके अलावा मरीजों और उनके परिजनों को कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान देना जरूरी है…

– परिजन रोगी को सक्रिय जीवन जीने के लिए प्रेरित करें। आसपास के वातावरण को खुशनुमा बनाएं।

– थोड़ा शारीरिक परिश्रम करें।

– खुद को कैसे खुश रखना है, इस बारे में सोचें।

– अगर डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो अपना खानपान नियमित रखें और समय पर दवाएं लें।

अल्जाइमर्स डिजीज से पीड़ित रोगियों की सुरक्षा का पहलू अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसे..

– रोगी अक्सर घर से बाहर निकल जाते हैं और भटक जाते हैं। ऐसे में रोगी की जेब में पहचान पत्र रखें या उन्हें फोन नंबर लिखा हुआ लॉकेट पहनाएं।

– रोगी अक्सर गिर पड़ते हैं और चोटिल हो जाते है। इसलिए रोगी को मजबूत छड़ी या वॉकर दें।

– रोगी की दिनचर्या को सहज व नियमित रखने का प्रयास करें।

रोगी से संवाद

रोगी की देखभाल के दौरान उसके साथ पूर्ण संवाद बनाए रखें। रोगी को बताएं कि अभी समय क्या है, घर में कौन आया है और आप उसके लिए क्या करने जा रहे हैं।

ऐसे करें रोकथाम

लोगों को शुरू से ही संतुलित व पोषक आहार ग्रहण करना चाहिए। मानसिक संतुलन कायम रखने के लिए ध्यान (मेडिटेशन) करें और ईश्वर पर विश्वास रखें। इसके अलावा किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों की लत से दूर रहें।

मरीज को प्रेरित करें

अगर कोई व्यक्ति अल्जाइमर्स डिजीज से ग्रस्त है, तो प्रारंभिक अवस्था में व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत साफ- सफाई और प्रसन्न रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उसे प्रेरित करना चाहिए कि वह अपना कार्य स्वयं करे। इस संदर्भ में कुछ अन्य सुझाव इस प्रकार हैं..

– दैनिक कार्यों में उस व्यक्ति को याद रहे कि उसे सुबह उठकर क्या कार्य करना है। घर के लोगों को व्यक्ति की सामथ्र्य के अनुसार उसकी मदद करनी चाहिए।

– पीड़ित व्यक्ति को अपना कार्य करने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए।

– पीड़ित व्यक्ति के प्रति धैर्य रखें।

– मरीज को डराएं और डांटें नहीं।

– व्यक्ति को अपना कार्य पूरा करने पर उसे उत्साहित करें या शाबासी दें।

– अल्जाइमर्स डिजीज वाले व्यक्ति को अकेला न छोड़ें और उसके साथ जो काम शुरू करें,उसे अंत तक पूरा करें।

– इस रोग के कारण याददाश्त कमजोर पड़ जाती है। इस कारण व्यक्ति की जेब में हमेशा परिचय पत्र या घर का पता, कॉन्टैक्ट नंबर डाल कर रखें जिससे अगर उसे कोई समस्या होती है तो दूसरा व्यक्ति उसकी मदद कर सकता है।

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