जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में दो साल पहले हुए आतंकी हमले में अपने 40 सैनिकों को खोने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने रविवार को कहा कि देश उस हमले के जिम्मेदारों को माफ नहीं करेगा और जवानों के सर्वोच्च बलिदान को नहीं भूलेगा। पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना ने 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर हवाई हमले किए थे।

सीआरपीएफ ने ट्वीट किया, न माफ करेंगे, न भूलेंगे। पुलवामा हमले में राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे भाइयों को सलाम। उनके आभारी हैं। हम अपने वीर जवानों के परिवारों के साथ खड़े हैं।
आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने सीआरपीएफ के काफिले पर 14 फरवरी, 2019 को आत्मघाती हमला किया था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। घटना के बाद 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट स्थित आतंकवादी शिविर पर हवाई हमला किया था। हमले के दिन सीआरपीएफ के काफिले में 78 वाहन थे।
बता दें कि लगभग 3.25 लाख जवानों के साथ सीआरपीएफ दुनिया का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। इसमें से 65 बटालियन या लगभग 70,000 जवान कश्मीर घाटी में आतंकवाद-रोधी अभियान चलाने और कानून-व्यवस्था के कर्तव्यों के पालन के लिए तैनात किए गए है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 2,224 सीआरपीएफ जवान सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं। इस बल को 1939 में ब्रिटिश राज के दौरान क्राउन रिप्रेजेंटेटिव्स पुलिस (सीआरपी) के रूप में बनाया गया था और 1949 में एक दशक बाद केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल का नाम दिया गया था।
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