मिलिट्री इंटेलिजेंस ट्रेनिंग स्कूल एंड डिपो (एमआईएनटीएसडी) के सहयोग से रोडवेज सॉल्यूशंस इंडिया इंफ्रा लिमिटेड (आरएसआईआईएल) ने पुणे छावनी के वानवाड़ी क्षेत्र में इस पार्क को विकसित किया है। इसमें एमआई कर्मियों की 40 प्रतिमाएं लगाई गई हैं, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया।
महाराष्ट्र के पुणे में शनिवार को ‘सातर्क पार्क’ का उद्घाटन किया गया। यह देश का पहला ऐसा पार्क है, जो सैन्य खुफिया शहीदों को समर्पित है। इस पार्क का उद्देश्य गुमनाम नायकों से जुड़े कुछ सबसे वीरतापूर्ण प्रसंगों को प्रकाश में लाना है।
मिलिट्री इंटेलिजेंस ट्रेनिंग स्कूल एंड डिपो (एमआईएनटीएसडी) के सहयोग से रोडवेज सॉल्यूशंस इंडिया इंफ्रा लिमिटेड (आरएसआईआईएल) ने पुणे छावनी के वानवाड़ी क्षेत्र में इस पार्क को विकसित किया है। इसमें एमआई कर्मियों की 40 प्रतिमाएं लगाई गई हैं, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया। प्रत्येक प्रतिमा के साथ उनकी वीरता का संक्षिप्त विवरण भी दिया गया है।
मिलिट्री इंटेलिजेंस कोर के आदर्श वाक्य ‘सदा सतर्क’ (हमेशा सतर्क) से प्रेरित सातर्क पार्क का उद्घाटन लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप कुमार चहल, कर्नल कमांडेंट, इंटेलिजेंस कोर और कमांडेंट, मिलिट्री इंटेलिजेंस द्वारा किया गया। इसमें भाग लेने वालों में शहीद नायकों के परिवार भी शामिल थे। पार्क की एक दीवार पर इंटेलिजेंस कोर का गीत, उनके काम की अदृश्य प्रकृति का प्रतीक भारत माता की एक अमूर्त मूर्ति, साथ ही 1962 से 2020 तक के 40 शहीदों की प्रतिमाएं हैं।
इनमें ब्रिगेडियर आरडी मेहता, एनके मेहताब सिंह (1962), एनके बिपिन चंद्रा (1970), एनके प्रताप सिंह (1977), लेफ्टिनेंट कर्नल बलदेव आनंद (1990), लेफ्टिनेंट कर्नल के कृष्णमूर्ति (1994), एनके जय सिंह (2001), कैप्टन जितेश भूटानी (2003), मेजर मुकेश चौरसिया (2005), ब्रिगेडियर आरएस मेहता (2008), सब राकेश कुमार (2020) और अन्य शामिल हैं।
अधिकारियों ने कहा कि एमआई के अधिकांश कर्मियों और अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया और उन्हें मरणोपरांत सैन्य सम्मान से सम्मानित किया गया।
चहल ने कहा, वीरता और सर्वोच्च बलिदान की कहानियां जो अब तक किताबों तक ही सीमित थीं, जनता और आने वाली पीढ़ियों द्वारा सुनी और देखी जाएंगी, जो उनसे प्रेरणा ले सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘आज, मुझे पार्क का अनावरण करने का अवसर मिल रहा है, क्योंकि शहीद नायकों में से कुछ मेरे सहकर्मी थे, और कुछ मेरे प्रशिक्षक थे। मैं उनमें से कई की यादें संजोकर रखता हूं।’