शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी महंगाई का असर व्यापक है। पिछले एक महीने के आंकड़ों के मुताबिक चीनी, आटा, गेहूं, ब्रेड, से लेकर छोले, मूंगफली और चॉकलेट महंगी हो गई हैं। आम बजट के बाद भी कुछ चीजों के दाम बढ़े हैं।

मगर उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनाव में महंगाई कोई मुद्दा नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए यूपी के पहले चरण के मतदान तक नेता जात पात और स्थानीय मुद्दों को बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे है। बहस बाथरूम से लेकर रेनकोर्ट पर पहुंच गई है।विपक्ष से सवाल जवाब करने पर विरोधी पार्टी पर निशाना साधता है जबकि केंद्र सरकार में नेतृत्व वाली भाजपा कह रही है कि यूपीए के मुकाबले अब महंगाई कम हुई है। यहां तक कि किसी भी पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में महंगाई कोई मुद्दा नहीं है।
चीनी के दाम एक सप्ताह में करीब 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो गई है। थोक बाजार में 2010 के बाद पहली बार चीनी के दामों ने 4,000 रुपये प्रति क्विंटल की बाधा लांघ दी है। इस समय चीनी का अधिकतम खुदरा मूल्य 49 रुपये और न्यूनतम 36 रुपये प्रति किलोग्राम है।
वहीं आरबीआई का कहना है कि वित्त वर्ष 2018 में औसतन खुदा मुद्रा स्फीति 4.5 फीसदी रह सकती है, लेकिन उसे महंगाई दर के इससे ऊपर जाने का जोखिम भी दिख रहा है। इसका मतलब यह भी है कि रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में और कटौती करना संभव नहीं रह गया है और महंगाई 4.5 फीसदी के बजाय पांच फीसदी रहती है तो इसका मतलब यह है कि अगले वित्त वर्ष में वह ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी कर सकता है। कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता शोभा ओझा के इस बारे में पूछने पर उन्होंने उल्टा भाजपा और प्रधानमंत्री पर ही सियासी वार कर दिया।
शोभा से पूछा गया कि राहुल गांधी महंगाई पर वार क्यों नहीं करते। इसके जवाब में वह कहती है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी महंगाई पर काबू करने और विकास के बड़े वायदे करके सत्ता में आए थे।मगर वह अब बाथरूम और रेनकोट की बात कह कर जनता का ध्यान भटका रहे हैं। वह कहती है कि राहुल गांधी बाथरूम की बात कर जनता को बता रहे है कि प्रधानमंत्री की भाषा कितनी घटिया है। वहीं भाजपा के प्रकाशन विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी और पार्टी मुखपत्र कमल संदेश के संपादक शिव शक्ति मुताबिक यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने महंगाई पर काफी हद तक काबू किया है।
उन्होंने भी मूल सवाल को भटकाते हुए कहा कि मौजूदा आम बजट में राजस्व घाटा कम हुआ है और विमुद्रीकरण के कदम से महंगाई काफी कम हुई है। कालाबाजारी और जमाखोरी पर रोक लगी है जोकि कांग्रेस के राज में बहुत ज्यादा थी।
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