पिछले साल चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस के दुनियाभर में मामले बुधवार को पांच मिलियन (50 लाख) से ऊपर पहुंच गए।
वर्ल्डोमीटर के आंकड़ों के अनुसार पांच महीने से भी कम समय में इस वायरस के कारण पूरी दुनिया में लगभग 325,000 लोगों की जान चली गई है।
वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। करोड़ों लोग इसके कारण बेरोजगार हो चुके हैं और उनपर गरीबी का खतरा मंडरा रहा है।
कोरोना के हालिया 10 लाख मामलों को बढ़ने में केवल 12 दिनों का समय लगा। इससे पहले केवल 11 दिनों में संक्रमितों की संख्या 30 से 40 लाख बढ़ गई थी।
वायरस के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका, स्पेन और इटली हैं। यहां वायरस अपनी पीक (चरम) पर है। ये देश धीरे-धीरे खुल रहे हैं लेकिन अधिकारियों का मानना है कि यहां कोविड-19 की दूसरी लहर आ सकती है। संक्रमितों की कुल संख्या अब न्यूजीलैंड की जनसंख्या के बराबर हो गई है।
बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गरीब देशों में कोरोना वायरस मामलों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता व्यक्त की। वहीं अमीर देश लॉकडाउन से उबर रहे हैं।
वैश्विक स्वास्थ्य संस्था का कहना है कि पिछले 24 घंटे में कोरोना के 106,000 नए मामले सामने आए हैं। यह एक दिन में सामने आए मामलों की अधिकतम संख्या है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम ग्रेबेसियस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हमें अब भी इस महामारी में पार जाने के लिए लंबा रास्ता तय करना है।
हम निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बढ़ते मामलों को लेकर बहुत चिंतित हैं।’ वर्ल्डोमीटर के मृत्यु और ठीक होने के आंकड़े दिखाते हैं कि वायरस का घातक चरण बीत चुका है।
बुधवार को मृत्यु दर 14.23 प्रतिशत और ठीक होने की दर 85.77 प्रतिशत थी। इससे पहले 24 मार्च को कम मृत्यु दर और ठीक होने की दर में इजाफा देखा गया था।
ब्राजील और भारत वायरस के नए हॉटस्पॉट के तौर पर उभरे हैं। वहीं अमेरिका में लॉकडाउन के नियमों में काफी ढील दी गई है।