भारतीय गर्न्थो में पारद धातु को पवित्र धातु माना जाता है। भारतीय गंथो में पारद धातु का विस्तार से वर्णन किया गया है। सर्वप्रथम हम किसी भी कार्य को करने से पहले भगवान श्री गणेश का पूजन करते है। ताकि बिना विघ्न हमारा कार्य सफल हो। कहा जाता है की पारद धातु से बनी भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओ का पूजन करने से सभी मनोकामनाओ की पूर्ति होती है।
भारतीय गर्न्थो को में पारद धातु से निर्मित भगवान श्री गणेश की बनी प्रतिमाओ का विस्तार से वर्णन किया गया है। गर्न्थो में पारद धातु से बनी इन प्रतिमाओ का विधि विधान भी बताया गया है। जिसे कर हम अपने सभी कष्टों से मुक्त हो सकते है। जिस जगह भगवान श्री गणेश की पारद निर्मित मूर्ति की स्थापनाकी जाती है वह सभी मनोकामनाओ की पूर्ति होती है। और उस स्थान पर कभी भी धन धान्य व सुख-शांति और समृद्धि की कमी नहीं होती है। ॥
श्लोक ॥
॥ ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, ॥
॥ कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्। ॥
॥ उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, ॥
॥ नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ॥
पारद गणेश की प्रतिमाओ की स्थापना से अपने जीवन में आने वाली तकलीफो से छुटकारा मिलता है। जिस स्थान पर भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओ की स्थापना व पूजन अर्चन किया जाता है उस स्थान पर धन धान्य सुख-शांति की कभी कमी नहीं होगी। अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए बुधवार को श्री गणेश की पारद धातु निर्मित मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए। विद्यार्थियों को नित्य ही भगवान श्री गणेश की आराधना करनी चाहिए।
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