कमरतोड़ महंगाई ने पाकिस्तान के लोगों की जान आफत में कर रखी है। आलम ये है कि देश में लगातार बढ़ रही महंगाई दर अब 14.56 फीसद तक जा पहुंची है। इसकी वजह से हर रोज लोगों की मुश्किलें बढ़ रही है। पिछले एक वर्ष की बात करें तो देश में दूध, रोटी, नान, ब्रेड, मक्खन, मटन, चिकन, फल और सब्जी के दामों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यहां के लोग हर रोज एक नया रिकार्ड बनाने वाली महंगाई की मार को झेलने पर मजबूर हैं। पाकिस्तान में जानकारों की मानें महंगाई दर आने वाले समय में 20 फीसद का भी आंकड़ा छू सकती है।
पाकिस्तान के सरकारी आंकड़ों की मानें तो दिसंबर में महंगाई दर (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) 12.63 फीसद पर थी। इसकी वजह दाल, चिकन, सब्जी की कीमतों में तेजी को माना गया था। इसने यहां के लोगों की रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया था। वहीं जनवरी में महंगाई दर बढ़कर 13.25 फीसद पर पहुंच गई थी। अब फरवरी की एक तारीख को यह 14.56 फीसद पर रिकॉर्ड की गई है। 1994-95 और 2010-11 के दौरान भी पाकिस्तान में लगभग यही महंगाई दर रिकॉर्ड की गई थी।
गौरतलब है कि इमरान खान ने 17 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। पीएम बनने के महज आठ माह के अंदर ही महंगाई बीते पांच वर्षों का रिकॉर्ड तोड़कर 8.21 फीसद से बढ़कर 9.41 फीसद तक पहुंच गई थी। इसकी वजह से तेल, खाने-पीने की चीजों की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ था। तब से लेकर अब तक महंगाई लगातार बढ़ रही है।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्तान लगातार आर्थिकतौर पर दिवालिया होने की तरफ बढ़ रहा है। खुद को इस स्तर से बचाने के लिए पाकिस्तान ने बीते वर्ष आईएमएफ से करीब छह अरब डॉलर का कर्ज लिया था।इसके अलावा सऊदी अरब, कतर और यूएई ने भी पाकिस्तान को कर्ज दिया था। इसके बावजूद भी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार बद से बदत्तर होती जा रही है। बीते पांच वर्षों की तुलना करें तो हर चीज के रेट पाकिस्तान में 2-3 गुणा तक बढ़ चुके हैं। पाकिस्तान में आर्थिक बदहाली की सबसे बड़ी वजह इमरान सरकार की खराब नीतियां रही हैं।
आपको यहां पर ये भी याद दिला दें कि पिछले माह ही वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने कहा था कि पाकिस्तान चीन के सहयोग से बन रहे आर्थिक कॉरिडोर की वजह से कर्ज में इस कदर डूब जाएगा कि उससे पार पाना उसके लिए मुश्किल हो जाएगा। उनकी इस सच्चाई को भले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने हितों की वजह से सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन इसकी सच्चाई यही है।
यह पहली बार नहीं है कि अमेरिका ने इस कॉरिडोर को लेकर इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले दिसंबर 2019 में भी अमेरिका ने इसी तरह का बयान दिया था। पाकिस्तान में आर्थिक और राजनीतिक जानकार भले ही इस कॉरिडोर को देश के लिए घाटे का सौदा न मानते हों लेकिन वो इतना जरूर मानते हैं कि इसके समय से पूरा न होने और जो ख्वाब इसको लेकर संजोए गए थे उसमें यह फिलहाल पिछड़ जरूर गया है।