पाकिस्तान के हालात खराब है. अर्थव्यवस्था बिगड़ रही साथ ही गरीबी भी बढ़ती जा रही है. देश में खाने और रोजगार का संकट भी गहराता जा रहा है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. विश्व बैंक का मानना है कि पाकिस्तान में 40 प्रतिशत ऐसे घर हैं जो खाने की कमी से जूझ रहे हैं. लोगों को खाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है. यहां पर मजदूरी करने वालों लोगों पर इसकी सबसे ज्यादा मार देखने को मिल रही है.

विश्व बैंक (World Bank) का मानना है कि पाकिस्तान में साल 2020 में 4.4 फीसदी से लेकर 5.4 फीसदी तक गरीबी बढ़ी है. यहां लगभग 20 लाख से ज्यादा लोग गरीबी रेखा (Poverty Line) के नीचे चले गए हैं. पाकिस्तान इस समय कंगाली के दौर से गुजर रहा है और देश चलाने के लिए इमरान सरकार ने IMF के अलावा कई देशों से भी कर्ज लिया हुआ है. अब IMF के दबाव के चलते पाकिस्तान ने अपने ही लोगों की कमर तोड़नी शुरू कर दी है.
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि निम्न-मध्यम-आय गरीबी दर का उपयोग करते हुए वर्ल्ड बैंक ने अनुमान लगाया है कि साल 2020-21 में पाकिस्तान में गरीबी का अनुपात 39.3 फीसदी है और 2021-22 में यह 39.2 रह सकता है. जबकि 2022-23 में यही अनुपात 37.9 हो सकता है.
78.3 फीसदी तक पहुंच सकती है गरीबी
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2020-21 में गरीबी 78.4 फीसदी थी और 2021-22 में यह 78.3 फीसदी पर पहुंच जाएगी. साल 2022-23 में यह नीचे आकर 77.5 फीसदी तक हो सकती है.
कोरोना संकट में बिगड़े हालात
वर्ल्ड बैंक का कहना है कि दुनियाभर में फैले कोरोना संकट की वजह से पाकिस्तान के हालात और भी ज्यादा खराब हुए हैं. इस दौरान काम करने वाले लोगों की आय में कमी देखी गई है. इसके अलावा अनौपचारिक और मजदूर वर्ग में रोजगार की सबसे ज्यादा कमी देखी गई है. पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर साल प्रति व्यक्ति होने वाली वृद्धि औसतन केवल दो प्रतिशत है. यह आंकड़ा दक्षिण एशिया के औसत के आधे से भी कम है.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal