पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनाव की सियासी जंग के लिए बीजेपी पूरी ताकत झोंकने में जुटी है. पार्टी ने 294 सीटों वाली विधानसभा की 200 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी ने पूरी मोर्चेबंदी की है. बीजेपी ने बंगाल को 5 जोन में बांटा है, जिनकी जिम्मेदारी संभालने के लिए पार्टी ने देश के पांच प्रदेशों से अपने संगठन महामंत्री राज्य में बुलाए हैं.
बीजेपी ने प्रदेश को उत्तरी बंगाल, राढ़ बंग (दक्षिण पश्चिमी जिले), नवद्वीप, मेदिनीपुर और कोलकाता में विभाजित कर रखा है. बंगाल के इन पांच जोन में बीजेपी ने अपने पांच दिग्गज नेताओं को केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त कर रखा है और अब वहां का सांगठनिक कामकाज देखने के लिए पांच संगठन महामंत्रियों को तैनात कर माइक्रो स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है ताकि चुनाव में बूथ स्तर तक जीत की पटकथा लिखी जा सके.
गुजरात में बीजेपी के संगठन महामंत्री भीखूभाई दलसानिया को पार्टी ने पश्चिम बंगाल के नवद्वीप जोन के संगठन की कमान सौंपी है. यहां प्रभारी की जिम्मेदारी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विनोद तावड़े संभाल रहे हैं. उत्तर प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल कोलकाता जोन में मोर्चा संभालेंगे, जहां पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम प्रभारी हैं.
हरियाणा संगठन महामंत्री रवींद्र राजू राज्य के राढ़बंग जोन में पार्टी का सांगठनिक कामकाज देखेंगे, जहां पार्टी के प्रभारी विनोद सोनकर हैं. हिमाचल प्रदेश संगठन के महामंत्री पवन राणा हावड़ा-हुगली-मेदिनीपुर जोन का कामकाज देखेंगे, जहां की कमान सुनील देवधर और राष्ट्रीय सचिव हरीश द्विवेदी के हाथ में है.
बंगाल बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रितेश तिवारी ने बताया कि बीजेपी के पांच जोन में संगठन महामंत्रियों को पार्टी ने लगाया है. जिनका काम है संगठन को ठीक करना और बूथ लेवल पर मसले को देखना. पश्चिम बंगाल में पिछले 16-17 सालों से ये चालू था. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद अब बीजेपी को जमीनी स्तर तक के नेता मिल गए हैं, जिन्हें तराशने का काम संगठन मंत्री और केंद्रीय पर्यवेक्षक मिलकर करेंगे.
उन्होंने बताया कि बीजेपी ने ऐसे संगठन महामंत्री और केंद्रीय पर्यवेक्षकों को लगाया है, जिन्होंने अपने-अपने राज्य की जिम्मेदारियों को पहले बखूबी निभाया है. बंगाल में अब ये अपने-अपने जोन में पार्टी को माइक्रो लेबल पर मजबूत करने का काम करेंगे.
2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने तीन दशक से पश्चिम बंगाल की सत्ता में काबिज लेफ्ट का सफाया कर दिया था. इस बीच बीजेपी धीरे-धीरे अपने संगठन को मजबूत बनाने में जुटी रही. 2016 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ खास न कर पाने वाली बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 42 में से 18 सीटें जीतकर चौंका दिया था. वहीं ममता बनर्जी की टीएमसी को बीजेपी से सिर्फ चार ज्यादा यानी 22 सीट मिलीं थी. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने कुल 42 में से 34 लोकसभा सीटें जीती थी.
2019 के लोकसभा चुनाव में सफलता मिलने के बाद से बीजेपी को भी लगने लगा कि और अधिक मेहनत करने पर 2021 में ममता बनर्जी को उसी तरह से सत्ता से बाहर किया जा सकता है, जिस तरह से कभी 2011 में ममता बनर्जी ने लेफ्ट को किया था. राज्य में लेफ्ट और कांग्रेस को पीछे छोड़कर बीजेपी अब निर्विवाद रूप से नंबर दो की पार्टी बन चुकी है. वहीं, अब बीजेपी की नजर राज्य में नंबर वन पार्टी बनने पर है. देखना है कि उसकी ये मेहनत कितनी रंग लाती है.