नागरिकता कानून के विरोध में उर्दू लेखक और पद्मश्री से सम्मानित मुजतबा हुसैन ने घोषणा की है कि वह अपना पुरस्कार सरकार को लौटा देंगे। उन्होंने इसके पीछे देश के मौजूदा हालात को जिम्मेदार ठहराया है। मुजतबा ने नागरिकता कानून को लोकतंत्र के लिए हमला बताया। मुजतबा हुसैन को साल 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

मुजतबा हुसैन ने कहा कि हमारा लोकतंत्र बिखर रहा है। देश में अभी कोई व्यवस्था नहीं है, किसी को सुबह सात बजे शपथ दिलाई जा रही है, रात के अंधेरे में सरकारों का गठन हो रहा है। उन्होंने कहा कि देश में एक तरह का डर का माहौल है।
उर्दू लेखक ने कहा कि देश में अशांति, भय और नफरत की जो आग भड़काई जा रही है, वह वास्तव में परेशान करने वाली है। जिस लोकतंत्र के लिए हमने इतना संघर्ष किया, तमाम तरह हे दर्द सहें और जिस तरह से इसे बर्बाद किया जा रहा है वह निंदनीय है। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए मैं किसी सरकारी पुरस्कार को अपने अधिकार में नहीं रखना चाहता हूं।
नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर हुसैन ने कहा कि मौजूदा हालत को देखते हुए वह काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि मैं 87 साल का हूं। मैं इस देश के भविष्य को लेकर अधिक चिंतित हूं। मैं इस देश की प्रकृति के बारे में चिंतित हूं जिसे मैं अपने बच्चों और अगली पीढ़ी के लिए छोड़ता हूं।
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