बेहमई नरसंहार कांड में मूल केस डायर न होने की वजह से फैसला टलता जा रहा है। एसपी को दो बार समय दिए जाने के बाद अब कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह व पुलिस महानिदेशक को जांच करा कर 18 मार्च से पहले मूल केस डायरी उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं।
डेढ़ माह में छह बार पड़ी तारीख
बेहमई की घटना में सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने छह जनवरी को फैसले की तिथि तय की थी। तब से अब तक छह बार तारीख लग चुकी हैं। फैसले वाले दिन कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट की नजीरें पेश करने की मांग की थी। इसके बाद अदालत ने 16 जनवरी तक का समय देते हुए 18 जनवरी को फैसले की तारीख तय कर दी थी। इस दिन पत्रावली में मूल केस डायरी न होने पर अदालत ने फैसला टाल दिया था और सत्र लिपिक को नोटिस जारी करते हुए 24 जनवरी की तिथि तय कर दी थी।
इस दिन कोर्ट ने स्पेशल पुलिस डकैती सेल को मूल केस डायरी प्रस्तुत करने का नोटिस जारी किया था और 30 जनवरी की तारीख दी थी। तय तिथि पर एसपी की ओर से मूलकेस डायरी उपलब्ध कराने के लिए समय मांगने पर कोर्ट ने 12 फरवरी की तारीख मुकर्रर कर दी थी। तय तिथि पर एसपी ने फिर 15 दिन का समय मांगा था, जिसपर 26 फरवरी की तिथि नियत कर दी थी। डेढ़ माह बाद भी मूल केस डायरी नहीं मिल पाई है।
दस्यु सुंदरी फूलन गिरोह ने 20 लोगों को उतारा था मौत के घाट
40 साल पहले 14 फरवरी-1981 को सिकंदरा थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में फूलन देवी, मुस्तकीम, रामऔतार व लल्लू गैंग में शामिल 35-36 डकैतों ने धावा बोला था। घरों में लूटपाट करने के बाद डकैतों ने 26 पुरुषों को गांव के बाहर ले जाकर गोलियों से भून दिया था, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मामले में वादी राजाराम ने मुकदमा दर्ज कराया था। 24 अगस्त-2012 को पांच अभियुक्तों भीखा, पोसे उर्फ पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी उर्फ कृष्ण स्वरूप, श्याम बाबू व राम सिंह के खिलाफ आरोप तय होने के बाद कोर्ट में ट्रायल शुरू हो सका था।
13 फरवरी 2019 को जेल में निरूद्ध बंदी राम सिंह की मौत हो गई, जबकि पोसा जेल में बंद हैं वहीं अन्य तीनों अभियुक्त जमानत पर हैं। मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायालय तृतीय विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित में विचाराधीन है। शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया कि अदालत ने प्रमुख सचिव व डीजीपी को जांच के आदेश देकर 18 मार्च से पहले मूल केस डायरी पेश कराने के आदेश दिए हैं।