पकिस्तान को बड़ा झटका देने के लिए पहले UNGA और अब FATF ने की तैयारी, जानिए क्या है भारत का प्लान

पहले बालाकोट एयर स्ट्राइक फिर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने (Article 370 Scrapped) के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने के बाद, भारत ने अब ‘आतंकिस्तान’ को सबसे बड़ा झटका देने की तैयारी शुरू कर दी है।

इसके बाद आर्थिक मंदी से जूझ रहा पाकिस्तान पाई-पाई को मोहताज हो जाएगा। इसके लिए भारत ने मास्टर प्लान तैयार कर उस पर काम भी शुरू कर दिया है।

इसी कड़ी में बुधवार को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी। पिछले दिनों UNGO बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई देशों के प्रतिनिधियों व राष्ट्राध्यक्षों संग मुलाकात की थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी लगातार विदेश दौरे कर रहे हैं और विदेशी प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं।

FATF में लग सकता है सबसे बड़ा झटका

पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में लग सकता है। FATF की एक अहम बैठक 13 से 18 अक्टूबर के बीच होनी है। FATF पाकिस्तान को पहले ही संवेदनशील सूची (ग्रे लिस्ट) में डाल चुका है। पिछले महीने हुई FATF की सहयोगी संस्था, एशिया पैसिफिक ग्रुप (APG) की बैठक में भी पाकिस्तान को प्रतिबंधित किए जाने की संस्तुति की गई है।

ऐसे में माना जा रहा है कि 10 दिन बाद होने वाली FATF की बैठक में पाकिस्तान का ब्लैकलिस्ट होना तय है। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल करने की वजह उसके द्वारा की जा रही वित्तीय अनियमितताएं और आतंकवाद को बढ़ावा देना है। FATF ऐसे देशों को प्रतिवर्ष ब्लैकलिस्ट कर, उन्हें अन्य देशों या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाता है।

इमरान ने बढ़ाई पाकिस्तान की मुसीबत

हाल में न्यूयॉर्क में संपन्न हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने खुलेआम भारत के खिलाफ परमाणु युद्ध और मुस्लिमों द्वारा हथियार उठाने की धमकी देकर अपने मुल्क के प्रतिबंधित होने की राह आसान कर दी है। मालूम हो कि इमरान द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंच से खुलेआम खून-खराबा की दी गई धमकियों को लेकर दुनिया के लगभग सभी देशों ने निंदा की है।

उधर पाकिस्तान बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद से भारत में आतंकी घुसपैठ की लगातार कोशिशें कर रहा है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद घुसपैठ का प्रयास तेज किया जा चुका है। इसे लेकर पिछले दो दिनों में केवल भारतीय खुफिया एजेंसियों ने ही नहीं, बल्कि अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने आशंका जताई है कि पाकिस्तान, भारत पर बड़ा आतंकी हमला करने की तैयारी में है।

इसलिए प्रतिबंधित हो सकता है पाकिस्तान

एक तरफ पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ लगातार आतंकी साजिश की जा रही है। दूसरी तरफ पाकिस्तान को लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेर चुके भारत ने अब FATF बैठक में भी उसे ब्लैकलिस्ट कराने की तैयारी शुरू कर दी है। बुधवार को एनएसए अजीत डोभाल और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मुलाकात, 10 दिन बाद होने वाली FATF बैठक के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

सऊदी अरब पहला अरब देश है, जो एफएटीएफ का सदस्य बना है। ऐसे में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कराने के लिए भारत को सऊदी अरब के साथ की जरूरत होगी। एनएसए ने सऊदी अरब में अपने समकक्ष से भी मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में अजीत डोभाल ने सऊदी अरब को जम्मू-कश्मीर के ताजा हालात से अवगत कराया है। सऊदी अरब के अलावा भारत, FATF के अन्य सदस्य देशों से भी संपर्क में है।

ब्लैकलिस्ट होने का मतलब

पाकिस्तान पिछले काफी समय से भीषण आर्थिक मंदी से गुजर रहा है। हाल में पाकिस्तान में आए भूकंप के बाद उसकी माली हालत और खराब हो चुकी है। आलम ये है कि इस वर्ष पाकिस्तान को चीन का कर्ज चुकाने के लिए, और ज्यादा कर्ज लेना पड़ा है। FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट किए जाने के बाद दुनिया का कोई देश या वित्तीय संस्थान पाकिस्तान को कर्ज नहीं दे सकेगा।

इसके बाद पाकिस्तान घोषित तौर पर खराब अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। मतलब पाकिस्तान को दिया जाने वाला कर्ज डूबने की संभावना बहुत ज्यादा है। इसका ये भी मतलब है कि ये देश अनाधिकृत तौर पर आतंकवादियों की मदद कर रहा है और वैश्विक शांति के लिए खतरा बना हुआ है।

कई बार ब्लैकलिस्ट हुआ पाक, भारत कभी नहीं

पाकिस्तान पर लंबे समय से आतंकवादियों को पालने और आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहैं। पाकिस्तान सेना व आईएसआई का आतंकियों से गठजोढ़ किसी से छिपा नहीं है। यह वजह है कि पाकिस्तान एफएटीएफ द्वारा कई बार ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है। एफएटीएफ पिछले 11 साल में 6 बार पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर चुका है या फिर उसे संवेदनशील सूची में शामिल कर चुका है।

अब पाकिस्तान पर 7वीं बार प्रतिबंध की तलवार लटकी हुई है। यहां ये भी जानना जरूरी है कि भारत FATF की गुड लिस्ट में शामिल है। भारत द्वारा वित्तीय लेनदेन में एफएटीएफ की गाइड लाइन्स का सख्ती से पालन किया जाता है। यही वजह है कि प्रतिबंध लगना तो दूर भारत कभी भी FATF की संवेदनशील सूची में भी नहीं आया है।

पाकिस्तान पर FATF का शिकंजा

जून 2008 : एफएटीएफ ने उजबेकिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, मध्य अफ्रीकी देश साओ टोमे और प्रिंसिपे, साइप्रस के उत्तरी हिस्से को हाई रिस्क और सहयोग न करने वाले देशों की सूची में रखा था।

फरवरी 2012: पाकिस्तान समेत कुल 17 देशों को हाई वाले रिस्क देशों की सूची में शामिल किया गया था।

जून 2013 : इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सिस्टम (International Financial System) को खतरे में डाल सकने वाले 14 देशों को चिन्हित किया गया था। इन पर आतंकवाद को बढ़ावा देने की आशंका जताई गई थी। इन सूची में पाकिस्तान का नाम भी शामिल था।

फरवरी 2015 : इस साल भी एफएटीएफ ने पाकिस्तान को संवेदनशील देशों की सूची में शामिल किया। हालांकि बाद में पाकिस्तान को वित्तीय अनियमितताओं में सुधार करने पर इस सूची से निकाल लिया गया था।

जून 2018 : एफएटीएफ ने पाकिस्तान टेरर फंडिंग और मनी लॉड्रिंग समेत अन्य वित्तीय अनियमितताओं की वजह से संवेदनशील देशों की सूची (ग्रे लिस्ट) में शामिल किया।

फरवरी 2019 : एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा। FATF की सहयोगी संस्था, एशिया पैसीफिक ग्रुप (APG) ने पिछले महीने अगस्त में ही पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किए जाने की संस्तुति कर दी है। इसमें बताया गया है कि पाकिस्तान FATF द्वारा निर्धारित 40 मानकों में से 32 स्टैंडर्ड पर फेल पाया गया गया है। यही वजह है कि इस माह पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका लगने की उम्मीद बढ़ गई है।

इमरान पहले ही जता चुके हैं संदेह

मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में दिए साक्षात्कार में भी कहा था कि भारत उनके देश को एफएटीएफ में ब्लैकलिस्ट कराने का पुरजोर प्रयास कर रहा है।

इस बयान के जरिए इमरान ये जताना चाह रहे थे कि अगर पाकिस्तान ब्लैकलिस्ट होता है तो इसके लिए उनकी करतूतें जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि भात ने ये प्रतिबंध थोप दिया है। इस तरह से वह अपने देश की जनता को तो बेवकूफ बना सकते हैं, लेकिन स्वतंत्र रूप से काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की नजर से बच नहीं सकते हैं।

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