पंजाबियों को एड्स के जाल में फंसा रहा नशे का टीका

एचआईवी एड्स का खतरा पंजाबियों में ज्यादा है। इसका सबसे बड़ी वजह नशे का टीका है। हैरानी की बात यह है कि प्रदेश की महिलाएं भी संक्रमण की चपेट में है।

पंजाब सरकार की तरफ से लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। टीवी, सोशल मीडिया, सिनेमा व वेब पोर्टल के माध्यम से विशेष कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसी तरह प्रदेश के पांच हजार स्कूलों में भी बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों को जागरूक किया जाता है, बावजूद इसके पंजाब में एड्स के केस कम होने की जगह लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

अगर पिछले पांच साल के रिकॉर्ड को चेक करें तो प्रदेश में एड्स के मरीजों की संख्या 65 प्रतिशत बढ़ गई है। लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि पंजाब में एचआईवी केसों की संख्या में बढ़ने के पीछे का मुख्य कारण नशा है। एक ही सिरिंज से कई लोग नशा करते हैं। इस कारण प्रदेश में एचआईवी संक्रमित मरीजों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। हालांकि इसके पीछे कई अन्य कारण भी हैं।

नेशनल एड्स एंड एसटीडी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत राज्य में एचआईवी संक्रमित मरीजों की यह रिपोर्ट तैयार की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 से 2023-24 तक एड्स के 2,45,939 मरीज सामने आए हैं। हर साल ही इसमें बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2019-20 में एड्स की मरीजों की संख्या 38,424 थी, जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 63,554 हो गई है। पुरुषों के साथ ही महिला मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है और कुल केसों में से 30 से 35 फीसदी महिलाओं के भी एड्स से ग्रस्त होने के मामले सामने आ रहे हैं।

2019-20 में 13,917 महिलाएं एचआईवी से संक्रमित थी, लेकिन वर्ष 2023-24 में एचआईवी संक्रमित महिलाओं की संख्या बढ़कर 19,083 हो गई। इसी तरह ट्रांसजेडरों में भी एड्स का खतरा बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2019-20 में 117 ट्रांसजेंडर एचआईवी से संक्रमित पाए गए थे, लेकिन वर्ष 2023-24 में ट्रांसजेंडर मरीजों की संख्या बढ़कर 186 हो गई।

सिरिंज के जरिये फैल रहा, मरीजों को कर रहे जागरूक
पीजीआई सैटेलाइट सेंटर संगरूर की डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट श्रुति शर्मा ने बताया कि वह 1 दिसंबर को एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाते हैं। इसी तरह जब हेपेटाइटिस डे मनाते हैं, तब भी साथ में एड्स के प्रति जागरूक करते हैं, क्योंकि ज्यादातर यह सिरिंज के जरिये ही फैलता है। इसी तरह अस्पताल में अगर हेपेटाइटिस का कोई मरीज आता है तो उसकी एचआईवी जांच भी करवाते हैं। गायनी वार्ड में भी नवजात शिशुओं की एचआईवी जांच कराने के लिए प्रेरित किया जाता है।

पहले तो 500 से अधिक स्कूलों में एड्स को लेकर विशेष जागरूकता मुहिम चलाई जा रही है। लोगों में यह भ्रम है कि सिर्फ असुरक्षित यौन संबंधों से ही एड्स होता है। जबकि सिरिंज शेयरिंग से भी जल्दी से एड्स फैल रहा है। यही कारण है कि 500 नशा छुड़ाओ केंद्रों पर भी एड्स के प्रति जागरूक किया जा रहा है। यहां तक कि सिरिंज से नशा करने वालों की टेस्टिंग भी करवाई जा रही है। ब्लड डॉनर्स की भी समय-समय पर टेस्टिंग करवाई जाती है, ताकि एड्स को बढ़ने से रोका जा सके। राज्य में 115 केंद्रों पर एड्स की टेस्टिंग की जाती है। साथ ही विभाग की टीमों की तरह से गांवों में जाकर विशेष कैंप भी लगाए जाते हैं। -डॉ. बॉबी गुलाटी, एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर, पंजाब स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी

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