बदलते मौसम में महंगी हो रही सब्जियों ने रसोई घर का जायका बिगाड़ दिया है। सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं। बरसात के मौसम में सब्जियों के बढ़ते दामों ने आम आदमी के पसीने छुड़ा दिए हैं। इस कारण मंडियों में सब्जी खरीदते हुए लोग बहुत कम नजर आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मॉनसून की शुरूआत में ही सब्जियों के दाम बढ़ने से रसोई का बजट बिगड़ने लगा है। कुछ दिन पहले तक 40-50 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर 100 के पार पहुंच गया और अभी इसके और लाल होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष टमाटर के भाव 400 रुपए किलो तक पहुंच गए थे। टमाटर ही नहीं दूसरी सब्जियों के दाम भी बढ़ने लगे हैं। 30 रुपए किलो बिकने वाली भिंडी ही 120 रुपए किलो पहुंच गई है। मंडी में सब्जी के रेट बढ़ने के साथ ही मोहल्लों में रेहड़ियों और दुकानों पर दुकानदारों ने आलू, टमाटर, भिंडी, रामा तोरी और लौकी जैसी रोजाना काम आने वाली सब्जियों के भाव दोगुने कर दिए हैं। हालांकि मंडी के अंदर सब्जियों के थोक भाव में उतनी वृद्धि नहीं हुई है, जितने दाम रिटेल में दुकानदारों और रेहड़ी वालों ने बढ़ा दिए हैं।
टमाटर के पीछे-पीछे आलू-प्याज भी हुआ महंगा
प्याज टमाटर के बिना सब्जी का जायका नहीं आता है और इस जायके का असर आम आदमी पर पड़ने लगा है। जैसे-जैसे टमाटर के भाव बढ़ रहे हैं वैसे-वैसे ही आलू प्याज के दामों में भी वृद्धि होती जा रही है। आलू 50 रुपए तो प्याज 60-70 रुपए किलो बिकने लगा है। बींस और शिमला मिर्च 120 रुपए किलो तक बिक रही है।
पहाड़ी क्षेत्र से सब्जियों की आवक हो रही कम
सब्जियों के बढ़ते दामों के पीछे दुकानदारों का कहना है कि गर्मियों में ज्यादातर सब्जियां पहाड़ी क्षेत्र से आती हैं और बरसात के कारण पहाड़ी क्षेत्र से सब्जियों की आवक कम हो जाती है। खेतों में पानी भरने की वजह से सब्जियों का उत्पादन कम होता है और कई बार फसलें खराब हो जाती है। बताते हैं कि इससे मंडी में बैठे व्यापारियों सहित हर व्यक्ति को नुकसान हो रहा है।
रिटेल में रेहड़ियों और दुकानों पर बिकी सब्जियों के प्रति किलो दाम
टमाटर : 100-110 रुपए