पंजाब के गुरदासपुर जिले हुए पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से 23 लोग मारे गए, जबकि 27 अन्य घायल हो गए। साथ ही घनी बस्ती होने की वजह से कई लोग अब भी मलबे में दबे हैं जिन्हें बचाव दल निकालने की कोशिश कर रहा है।
घटनास्थल पर हर जगह बिखरे जूते, टूटे हुए शीशे के टुकड़े और क्षतिग्रस्त वाहन नजर आ रहे हैं। सुरक्षाकर्मी और बचाव दल मलबों में लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह गुरुवार को घटनास्थल का दौरा किया।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया, “तलाशी अभियान लगभग अंतिम चरण में है।”
मारे गए लोगों में पटाखा फैक्ट्री का मालिक और उसके परिवार के छह सदस्य भी शामिल हैं।
उपायुक्त विपुल उज्जवल ने कहा कि सात गंभीर रूप से घायलों को अमृतसर के गुरु नानक अस्पताल में भेजा गया।
विस्फोट में कार वर्कशॉप सहित आसपास की कई इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। मृतकों में फैक्ट्री के करीब से गुजर रही एक बुजुर्ग महिला और उनका पोता भी शामिल है।
पुलिस ने कहा कि विस्फोट से 200 मीटर की परिधि में इमारतों को नुकसान पहुंचा है। अभी तक हालांकि विस्फोट के कारणों का पता नहीं चल पाया है। विस्फोट के दौरान वहां खड़े कुछ वाहन भी हवा में उछल गए थे।
बुधवार को दुर्घटनास्थल पर पहुंचे कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये मुआवजे की घोषणा की।
सरकार ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि पटाखा फैक्ट्री पिछले कई वषों से अवैध रूप से चल रही थी। लोगों ने बताया कि यहां पर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती समारोह पर होने वाले नगर कीर्तन के लिए पटाखों का निर्माण व भंडारण किया जा रहा था।
एक स्थानीय निवासी ने मीडिया को बताया, “पटाखा फैक्ट्री इस इलाके में कई सालों से चल रही है। हमने फैक्ट्री के खिलाफ सात-आठ बार स्थानीय प्रशासन से शिकायत की, लेकिन इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।”
उन्होंने कहा कि जनवरी 2017 में भी इस क्षेत्र में इसी तरह से एक विस्फोट हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि तीन घायल हो गए थे।