पंजाब में मोबाइल टावर तोड़ने के केस में रिलायंस की याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र व पंजाब सरकार से मांगा जवाब

 केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच रिलायंस कंपनी के स्‍टोर, पंप और टावर्स को नुकसान पहुंंचाने के खिलाफ कंपनी की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव, दूरसंचार मंत्रालय और पंजाब के गृह सचिव व डीजीपी को आठ फरवरी के लिए नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने इन चारों अथारिटी से जवाब मांगा है।

हाई कोर्ट के जस्‍टिस सुधीर मित्‍तल ने यह आदेश रिलायंस इंडस्ट्रीज की जियो इन्फोकाम कंपनी के अधिकारी यशपाल मित्‍तल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकील आशीष चोपड़ा ने बेंच को बताया कि कंपनी के खिलाफ भ्रामक प्रचार कर शरारती तत्‍व उसकी छवि खराब कर रहे हैंं। याचिका में उपद्रवियों द्वारा तोड़फोड़ की गैरकानूनी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए न्यायपालिका से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।

रिलायंस के आरोपों पर पंजाब सरकार ने कोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार इस मामले में गंभीर है। सरकार ने 1019 पेट्रोलिंग पार्टी और 22 नोडल आफिसर तैनात किए हैंं, ताकि किसी भी तरह की संपति को नुकसान न हो सके। इस पर कंपनी की तरफ से कहा गया कि पंजाब में दी पंजाब प्रिवेंशन आफ डैमेज पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट 2014 लागू है। सरकार को इसे लागू करने के लिए तंत्र विकसित करना चाहिए व इसके तहत एक जांच अथारिटी का गठन कर उसके खिलाफ निहित स्वार्थों के चलते उसको किए जा रहे नुकसान की जांच करवाई जानी चाहिए तथा कंपनी को हुए नुकसान का उचित मुआवजा मिले।

हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि उपद्रवियों द्वारा की गई तोड़फोड़ और हिंसक कार्रवाई से कंपनी के हजारों कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में पड़ गई और साथ ही कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर (ढांचागत संचार सेवाएं), सेल्स और सेवा आउटलेट के रोजमर्रा के कामों में व्यवधान पैदा हुआ है। राज्‍य में उसके 250 के करीब स्‍टोर बंद करवाए गए हैंं तथा उसके टावरों की बिजली काटी जा रही है।

याचिका के अनुसार तोड़फोड़ की इस कार्रवाई में संलिप्त उपद्रवियों को रिलायंस की व्यावसायिक प्रतिद्वंदी कंपनियां तथा निहित स्वार्थ वाले लोग उकसा रहे हैं। देश में वर्तमान में जिन तीन कृषि कानूनों पर बहस चल रही है, उनसे रिलायंस का कोई लेना देना नहीं है और न ही किसी भी तरह से उसे इनका लाभ पहुंचता है। कृषि कानूनों से रिलायंस का नाम जोड़ने का एकमात्र उद्देश्य हमारे व्यवसायों को नुकसान पहुंचाना और हमारी प्रतिष्ठा को तहस-नहस करना है।

याचिका के अनुसार रिलायंस से जुड़ी कोई भी अन्य कंपनी न तो कारपोरेट या कांट्रेक्ट फार्मिंग करती है और न ही करवाती है। न ही भविष्य में इस बिजनेस में उतरने की कंपनी की कोई योजना है। रिलायंस की सहायक किसी भी कंपनी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती की कोई भी जमीन हरियाणा, पंजाब अथवा देश के किसी दूसरे हिस्से नहीं खरीदी है। न ही भविष्य में ऐसा करने की रिलायंस की कोई योजना है।

याचिका में कहा गया है कि रिलायंस रिटेल एक अग्रणी कंपनी है। यह किसानों से खाद्यान्न की सीधी खरीद नहीं करती। किसानों से अनुचित लाभ लेने के लिए कंपनी ने कभी भी दीर्घकालिक खरीद अनुबंध नहीं किए हैं और न ही ऐसा चाहा कि इसके आपूर्तिकर्ता किसानों से उनके पारिश्रमिक मूल्य से कम पर माल खरीदा जा सके। न ही ऐसा कभी होगा।

कंपनी ने न्यायपालिका को अवगत कराया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान लाखों किसानों, ग्रामीणों और भारत के शहरी लोगों के लिए जियो नेटवर्क एक लाइफ लाइन साबित हुआ है, लेकिन पंजाब में तरनतारन, फिरोजपुर, अमृतसर, मोगा, मानसा, बठिंडा और जालंधर जिलों में भारतीय किसान यूनियन ने कंपनी के टावर तहस नहस कर काफी नुकसान पंहुचाया। राज्‍य भर में उसके 1500 से ज्यादा टावर को नुकसान हुआ। कंपनी ने पंजाब के सभी जिलों के एसएसपी, मुख्‍य सचिव, डीजीपी व सीएम को मांग पत्र देकर अपनी संपति की सुरक्षा की मांग की थी, जिस पर पुलिस ने कार्रवाई भी की। कंपनी ने अपनी याचिका के माध्यम से उपद्रवियों और निहित स्वार्थी तत्वों के खिलाफ दंडात्मक और निवारक कार्रवाई की मांग की है, ताकि रिलायंस पंजाब और हरियाणा में एक बार फिर से अपने सभी व्यवसायों को सुचारू रूप से चला सके।

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