पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आए करीब अढ़ाई साल का समय हो चुका है परंतु यह सरकार अभी तक राज्य के नगर निगमों के चुनाव नहीं करवा सकी है। जालंधर नगर निगम का कार्यकाल पिछले साल 24 जनवरी को खत्म हो गया था और लगातार डेढ़ साल से जालंधर नगर निगम में कोई जनप्रतिनिधि नहीं है और यहां अफसरों का राज है। इसके बावजूद नगर निगम के चुनाव लटकते ही चले जा रहे हैं।
निगम की वार्डबंदी को हाईकोर्ट में चैलेंज किया जा चुका है और आज इस संबंधी याचिका पर सुनवाई हुई। माननीय अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई की अगली तिथि ठीक 2 महीने बाद यानी 26 सितंबर निर्धारित कर दी है। दो महीने की डेट पड़ने से निगम चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं के चेहरे लटक गए हैं, क्योंकि माना जा रहा है कि अब राज्य में नगर निगम चुनाव पंचायत के चुनावों के बाद ही होंगे और अब निगम चुनावों की संभावना नवंबर दिसंबर या अगले साल के शुरू में ही है।
नगर निगम और लोकल बॉडीज विभाग ने जवाब फाइल किया
जालंधर के एडवोकेट परमिंदर सिंह विग और अन्यों द्वारा डाली गई याचिका पर आज जब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो जालंधर नगर निगम की ओर से कमिश्नर और पंजाब के लोकल बॉडीज विभाग की ओर से प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने माननीय उच्च न्यायालय में जवाब फाइल किया। माना जा रहा है कि अब निगम और विभाग की ओर से दिए गए जवाब के उत्तर में याचिकाकर्ताओं द्वारा अदालत समक्ष जवाबदावा दायर किया जाएगा और यही संभावना बनती दिख रही है कि 26 सितंबर को होने वाली सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के बीच बहस भी हो सकती है। इस बीच पता चला है कि याचिका में पंजाब सरकार और डिप्टी कमिश्नर को भी पार्टी बनाया गया है परंतु दोनों ही पक्षों ने अभी तक अपनी ओर से कोई जवाबदावा दायर नहीं किया है।
पहले पंचायत चुनाव करवाने की सोच रही पंजाब सरकार
आम आदमी पार्टी की सरकार का आधा कार्यकाल खत्म हो रहा है परंतु इस दौरान ना तो पंजाब में पंचायती चुनाव और ना ही नगर निगम और काऊंसिलों के चुनाव ही हुए हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो अब आम आदमी पार्टी की सरकार का सारा ध्यान राज्य में पंचायती चुनाव करवाने की ओर है। आप नेतृत्व यह मानकर चल रहा है कि पिछले कुछ समय दौरान जिस प्रकार अकाली दल का जनाधार घटा है और भारतीय जनता पार्टी का आधार भी गांवों में ज्यादा मजबूत नहीं है, इसलिए सीधा मुकाबला आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच ही होगा जिस दौरान आप का पलड़ा भारी रहने की उम्मीद भी पार्टी नेतृत्व द्वारा व्यक्त की जा रही है।
फिलहाल पार्टी नेतृत्व निगम चुनाव से पहले सर्वेक्षण इत्यादि करके अपनी जीत सुनिश्चित करना चाह रहा है। इसके बाद ही आम आदमी पार्टी निगम चुनाव का रिस्क लेगी। गौरतलब है कि जालंधर वैस्ट विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में सत्तापक्ष को अच्छी खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था और उससे पहले हुए लोकसभा चुनावों में भी शहरों में आप का जनाधार काफी घटा था।
मेहनत करके और पैसे लगाकर थक चुके हैं टिकटों के कई चाहवान
जब करीब अढ़ाई साल पहले आम आदमी पार्टी ने पंजाब की सत्ता पर कब्जा किया था तो जालंधर में आप नेतृत्व काफी एक्टिव दिख रहा था और शहर के सभी वार्डों में आप नेता काफी एक्टिव हो गए थे, जिन्होंने निगम चुनाव हेतु टिकट मांगनी प्रारंभ कर दी थी। करीब 2 साल पहले आप की ओर से टिकटों के चाहवान नेताओं ने अपने-अपने वार्ड होर्डिंग्स और बैनरों से भर दिए थे और लोगों की समस्याओं को सुनना भी शुरू कर दिया था।
अब जैसे-जैसे निगम चुनाव लटकते चले जा रहे हैं, टिकटों के चाहवान ‘आप’ नेता न केवल थक चुके हैं बल्कि उनकी दिलचस्पी भी लगातार घट रही है क्योंकि पिछले 2 सालों दौरान उन्हें अपनी जेब से पैसे खर्च करके लोगों के बीच आना जाना पड़ रहा है। आम आदमी पार्टी के जो नेता कुछ समय पहले तक सीवरेज की जैटिंग मशीनों के साथ दिखते थे, वह अब वार्डो से गायब हो गए हैं। कई नेताओं ने तो अपने दफ्तर तक बंद कर दिए हैं। टिकटों के कई चाहवान ऐसे हैं जिनके गॉडफादर बदल गए हैं या रिश्तों में खटास आ गई है।