पंजाब में शनिवार को पराली जलाने के रिकॉर्ड 442 मामले दर्ज हुए। इसके साथ ही कुल मामलों की संख्या बढ़कर 2084 हो गई है। सबसे अधिक पराली तरनतारन जिले में जली है। यहां अब तक कुल 423 मामले सामने आए हैं। वहीं दूसरे नंबर पर मुख्यमंत्री भगवंत मान का जिला संगरूर है जहां 389 जगह पराली जली है। 212 मामलों के साथ अमृतसर जिला तीसरे स्थान पर बना है। पंजाब में पराली के लगातार जलने से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
पराली के धुएं से लोगों का जीना दूभर हो चला है। साथ ही स्मॉग के जमने से दृश्यता भी कम हो रही है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार की ओर से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक खन्ना का एक्यूआई 243, पटियाला का 209 व मंडी गोबिंदगढ़ का 205 दर्ज किया गया, जो खराब श्रेणी में रहा। वहीं चार अन्य शहरों का एक्यूआई येलो जोन में दर्ज किया गया।
इनमें जालंधर का 184, बठिंडा का 166, लुधियाना का 176 और रूपनगर का एक्यूआई 140 दर्ज किया गया। पंजाब में 31 अक्तूबर तक 659 मामलों में 34 लाख पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 18 लाख रुपये की वसूली कर ली गई है। इसके साथ ही 467 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है और 555 रेड एंट्रियां की गई हैं।
सीएम के गृह जिले संगरूर में जली सबसे ज्यादा पराली
शनिवार को भी सीएम के जिला संगरूर में पराली जलाने के सबसे अधिक 108 मामले सामने आए। तरनतारन में 49, पटियाला में 33, अमृतसर में 15, फिरोजपुर में 40, बठिंडा में 42, मोगा में 24, कपूरथला में 22, मानसा में 28 मामले हुए। वहीं अगर मौजूदा सीजन में अब तक के कुल मामले देखें, तो तरनतारन, संगरूर और अमृतसर के अलावा फिरोजपुर से 207, पटियाला से 130, गुरदासपुर से 52, कपूरथला से 84, बठिंडा से 134, फाजिल्का से 27, जालंधर से 38, बरनाला से 46, लुधियाना से 38, मोगा से 56, मानसा से 69, फतेहगढ़ साहिब से 29, मुक्तसर से 48, फरीदकोट से 25, एसबीएस नगर से सात, होशियारपुर से 15, मालेरकोटला से 32 मामले सामने आए हैं।
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