अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल माइकल रोमर भारत के Aadhaar योजना के फैन हैं. पिछले साल मार्च में समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि आधार का बायोमीट्रिक डेटा सिस्टम उनके सामने आई अब तक की सबसे उन्नत व्यवस्था है. उन्होंने इसको दुनिया भर में लागू करने की वकालत की थी.
रोमर तब विश्व बैंक में चीफ इकोनॉमिस्ट थे और इस साल जनवरी में ही इस पद से रिटायर हुए हैं. रोमर ने कहा था कि एक मानक व्यवस्था तैयार करना बेहतर होता है, ताकि लोग दुनिया में कहीं भी रहने पर अपने साथ एक ID कार्ड रखें. उन्होंने कहा था कि ‘आधार’ वित्तीय लेनदेन सहित सभी तरह के संपर्क का आधार हो सकता है.
रोमर ने कहा था, ‘इसे (आधार को) यदि व्यापक तौर पर अपनाया जाए तो यह दुनिया भर के लिए अच्छा हो सकता है. हालांकि, लोगों को अपने डेटा और उस डेटा के इस्तेमाल पर कुछ नियंत्रण की व्यवस्था देनी चाहिए.’
गौरतलब है कि हाल में सुप्रीम कोर्ट ने आधार के इस्तेमाल को सीमित करते हुए इसे सिर्फ कुछ सरकारी सेवाओं के लिए जरूरी रखने का आदेश दिया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आधार व्यवस्था को संवैधानिक बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ आधार को वैध ठहराया है.
इसके साथ ही उसने आधार को अलग-अलग सेवाओं से लिंक करने के बारे में भी कई फैसले दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल नंबर और बैंक खाता लिंक करने के अलावा पैन कार्ड और स्कूल में आधार की अनिवार्यता को लेकर भी टिप्पणी की है और फैसला सुनाया है.
इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार पॉल एम रोमर और विलियन डी नोर्डहॉस को देने की घोषणा की गई है. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ इकोनॉमिक्स ने जलवायु परिवर्तन और आर्थिक विकास पर खोज के लिए इन्हें यह पुरस्कार देने का फैसला किया है.
नोबेल पुरस्कार दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है. अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल हासिल करने वालों को 90 लाख स्वीडिश क्रोनॉर (10.1 लाख डॉलर) की इनामी राशि मिलेगी. इस साल अर्थशास्त्र के क्षेत्र में यह राशि दोनों विजेताओं को संयुक्त रूप से दी जाएगी.