आप याद करिए, जंगलराज की हालत तो ये थी कि जो उद्योग, जो चीनी मिले, दशकों से चंपारण और बिहार का अहम हिस्सा रही हैं, वो भी बंद हो गईं। अब तो इस चुनाव मे जंगलराज वालों के साथ नक्सलवाद के समर्थक, देश के टुकड़े-टुकड़े करने की चाहत रखने वालो के समर्थक भी शामिल हो गए हैं।
बिहार के युवाओं को बिहार में ही अच्छा और सम्मानजनक रोजगार मिले ये बहुत जरूरी है। सवाल ये है कि ये कौन दिला सकता है? वो लोग जिन्होंने बिहार अंधेरे और अपराध की पहचान दी! वो लोग जिनके लिए रोजगार देना करोड़ों की कमाई का माध्यम है!
गांव में फसल की कटाई और बुवाई चलती रहे, इसके लिए भी हर जरूरी कदम उठाए गए। कटाई और खरीद के साथ-साथ लॉकडाउन के दौरान बुवाई के लिए भी किसानों को हर जरूरी सुविधा उपलब्ध कराई गई।
बिहार के जो श्रमिक परिवार दूसरे राज्यों से लौटे हैं, उनके राशन से लेकर रोजगार तक के लिए इस दौरान गरीब कल्याण रोजगार अभियान चलाया गया है।
जब कोरोना का संकट देश में आया तो सबसे पहले गांव, गरीब और किसान के बारे में ही सोचा गया। ये संक्रमण गांव तक ना फैले, इसके लिए सही समय पर लॉकडाउन किया गया। गरीब परिवारों को भूखा ना सोना पड़े इसके लिए दीवाली और छठ पूजा तक मुफ्त राशन की व्यवस्था की गई।
सदियों के लंबे इंतजार के बाद, तप और तपस्या के लंबे दौर के बाद जो ये अवसर आया है, उसके लिए रामायण की रचनास्थली से जुड़े आप सभी साथियों को मैं बधाई देता हूं।
चंपारण में, मोतिहारी में आना तो बहुत बार हुआ है। लेकिन अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के बाद आज पहली बार आपके बीच आया हूं।