हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इस दिन पितरों की पूजा की जाती है। इस बार चैत्र माह की अमावस्या 08 अप्रैल को है। इसे सोमवती अमावस्या के नाम जाना जाता है। अमावस्या तिथि को पितरों की पूजा और मां लक्ष्मी के पूजन के लिए बहुत फलदायी माना गया है। मान्यता है कि कालसर्प दोष से छुटकारा और पितरों की पूजा करने के लिए अमावस्या तिथि शुभ मानी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन विशेष उपायों को करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और सुख, समृद्धि में वृद्धि होती है। चलिए जानते हैं सोमवती अमावस्या के दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में।
सोमवती अमावस्या उपाय
अगर आप पितृ देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इसके लिए सोमवती अमावस्या के दिन शाम को घर के बाहर दक्षिण दिशा में पितरों के लिए तेल का दीपक जलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और पितरों का घर के सभी सदस्यों को आशीर्वाद प्राप्त होता होता है।
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए उत्तम माना गया है। इस दिन व्रत और विधिपूर्वक पूजा करने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान का अधिक महत्व है। इसलिए इस अवसर पर पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा माना जाता है कि यह उपाय करने से पितृ दोष का इंसान पर प्रभाव नहीं पड़ता है।
सोमवती अमावस्या पर केला, बरगद, पीपल और तुलसी का पौधा लगाना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन वृक्षों में देवी- देवताओं का वास होता है।