10 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो चुकी है ऐसे में नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की उपासना की जाती है और कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा का रूप सौम्य है इनको सुगंध अच्छी लगती है और इनका वाहन सिंह है इसी के साथ इनके दस हाथ हैं और हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं. उन शस्त्र से ये वह असुरों का नाश करती हैं. मान्यता यह भी है कि देवी चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने से अहंकार नष्ट हो जाता है और उनके भक्त को सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति हो जाती है. मां चंद्रघंटा के मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्रमा बना हुआ होता है, जिसके कारण इनका नाम चंद्रघंटा रखा गया है.
मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान होती हैं और इनका स्वरुप सोने के समान कांतिवान होता है. कहते हैं मां चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं इसके साथ ही मां चंद्रघंटा के गले में सफेद फूलों की माला रहती है जो खूब शोभायमान लगती है. माँ की पूजा करने से भक्तों के सारे पापों का नाश हो जाते हैं और उनकी पूजा करने से पराक्रम और निर्भय का वरदान मिलता है.
ऐसे में ज्योतिष में तो यह भी माना जाता है कि जिसका चंद्रमा कमजोर है उसे देवी चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए और देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए भक्तों को भूरे रंग के कपड़े पहन कर उन्हें प्रसाद चढ़ाना चाहिए. कहते हैं कि मां को सफेद वस्तु का भोग यानी दूध और खीर का भोग लगाना चाहिए और इसी के साथ ही माता को शहद का भी भोग लगाया जाता है जो उन्हें बहुत पसंद है.
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