पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पुराने साथी पूर्व हॉकी खिलाड़ी व जालंधर से विधायक परगट सिंह होली सिटी स्थित उनके निवास पर पहुंचे। दोनों के बीच बंद कमरे में करीब दो घंटे तक बातचीत हुई।

परगट सिंह दो अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने आए थे, परंतु सिद्धू ने सत्र में न शामिल होने की बात कही। हालांकि संपर्क करने पर परगट सिंह ने ऐसी किसी भी बात से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि वह निजी दौरे पर अमृतसर आए थे और सिद्धू से रुटीन में ही मिलने पहुंचे थे। इस दौरान कोई सियासी बातचीत नहीं हुई है।
गत दिवस दोपहर करीब एक बजे परगट सिंह सिद्धू आवास पर पहुंचे। पहले उन्होंने अपनी सरकारी गाड़ी कोठी के बाहर खड़ी की, लेकिन बाद में गाड़ी भी कोठी के अंदर चली गई। दो घंटे चली बातचीत में सिद्धू ने अपने सुरक्षा कर्मी ही नहीं आफिस स्टाफ तक को बाहर भेज दिया। सिद्धू से मिलने आए उनके समर्थकों को भी दो घंटे इंतजार करना पड़ा। दोनों ने लंच एक साथ किया और इसके बाद परगट मीडिया से बिना कोई बात किए जालंधर के लिए रवाना हो गए।
हॉकी और क्रिकेट के दिग्गजों की नजदीकियां हैैं जगजाहिर
परगट सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू की नजदीकियां जगजाहिर हैैं। भाजपा से अलग होकर जब सिद्धू ने आवाज ए पंजाब प्लेटफार्म का गठन किया था, तब भी परगट सिंह भी उसमें शामिल थे। वहीं सिद्धू ने परगट को कैबिनेट में शामिल करवाने के लिए भी पिच तैयार की थी, परंतु उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई थी। हाल ही में कैबिनेट रैंक मिलने के बाद डॉ. राजकुमार वेरका भी सिद्धू से मिलने पहुंचे थे, उसके बाद परगट कांग्रेस के दूसरे विधायक हैैं जो सिद्धू से मिलने पहुंचे।
सिद्धू ने बना रखी है मीडिया से दूरी, हलके के लोगों से कर रहे मुलाकात
21 जुलाई को अमृतसर आने के बाद से ही नवजोत सिंह सिद्धू ने मीडिया से दूरी बनाई हुई है। 23 जुलाई से वह अपने आवास पर ही हलके के कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैैं। सिद्धू ने खुद को घर अंदर तक ही सीमित कर लिया है।
दिल्ली की प्रधानगी पर भी चर्चाओं का बाजार गर्म
कांग्रेस द्वारा सिद्धू के दिल्ली का प्रधान बनाए जाने की चर्चाओं ने राजनीतिक गलियारे में नई बहस छेड़ दी है। सिद्धू ने भाजपा छोडऩे के बाद कहा था कि वह पंजाब नहीं छोड़ेंगे, लेकिन भाजपा उन्हें मजबूर कर रही थी। अब दिल्ली की प्रधानगी की चर्चाएं होने पर सवाल भी उठ रहे हैैं कि क्या सिद्धू अब पंजाब छोड़ देंगे।
कैबिनेट से बाहर होने के बाद सिद्धू को पंजाब प्रधान बनाए जाने की चर्चाएं टकसाली कांग्रेसियों के गले नहीं उतर रहीं थीं तो अब दिल्ली की प्रधानगी की बातें उनके समर्थकों के गले नहीं उतर रहीं। कांग्रेसियों सहित सिद्धू के करीबियों की नजरें भी अब उनके सियासी भविष्य पर टिक गई हैैं।
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