देश में बड़ा खतरा, होने वाली बिजली गुल्ल, कई राज्यों से तो बिजली…..

आज हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे है! जिससे आपके रोंगटे खड़े हो जायेगे! जी हां देश के बड़े हिस्सों को सामना करना पड़ रहा है ब्लैक आउट का! ब्लैक आउट का मतलब यानी देश से बिजली खत्म! देश केके बड़े राज्यों में जैसे कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, सहित उत्तर भारत के और भी बड़े बड़े राज्यों में बिजली की कमी से त्राहि त्राहि मच सकती है! हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्युकी जहाँ बिजली का उत्पादन होता है वहां से कोयला खत्म हो रहा है! तो दोस्तों कोयले के बिना बिजली कैसे बनेगी? हालांकि सरकार इस मामले को टालने पर लगी हुई है!

NTPC Tharmal Plant Less Coal Electricity Finished-

आपकी जानकारी के लिए बता दे ब्लैक आउट होना यानी हमारी ज़िंदगी को रोक देने जैसा प्रभाव डालता है! क्योकि आज के ज़माने में बिना बिजली के कुछ भी नहीं रह जाता! हाल ही में एनटीपीसी के सीनियर एक्सक्यूटिव ने जानकारी देते हुए अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक्स टाइम्स में इस बात का खुलासा किया है!

क्या एनटीपीसी के एक्सक्यूटिव ने इकनोमिक टाइम से

उन्होंने बताया है कि देश के राज्य झारखण्ड के राजमहल माइन्स से कोल इंडिया तक़रीबन 55,000 टन का कोयला सप्लाई करता था! परन्तु अब तो वो सिर्फ 40,000 टन ही रह गया है! अब हाल ही में बारिश का मौसम है तो इसकी मात्रा और भी कम हो जाएगी लगभग 20,000 टन! कहने का तात्पर्य यह है अब एनटीपीसी के पास कोयले का स्टॉक खत्म हो गया है!

कोयले की मात्रा घट गयी

अगर अखबार की माने मुसीबत आ गयी फरक्का संयंत्र में कोयले की मात्रा घट गयी है और सिर्फ 4000 टन कोयला बचा है! हालांकि कहा गया कि 2 महीने पहले लगभग 2.5 लाख टन कोयला रिज़र्व में था! बस कुछ ही हाल बाकि उत्तर भारत के राज्यों का है जैसे बिहार में 45,000 टन कोयला बचा है जोकि पहले 5 लाख था! इसी स्टॉक भढ़ती कमी की वजह से एनटीपीसी ने जनरेटर लेवल भी घटा दिया! पहले जनरेटर का लेवल 90% होता है वो आज 60% से 80% कर दिया गया!

2 साल पहले नोटिस जारी किया था

उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन ने भूमि-अधिग्रहण के लिए 2 साल पहले नोटिस जारी किया था! उन्होंने आश्वासन दिया है कि गांव वालों ने आश्वासन दिया है कि कुछ दिनों बाद वे गांव खाली कर देंगे! करीब 160 हेक्टेयर में फैले इस इलाके में सघन आबादी नहीं है! जबकि यहां के एक प्लॉट पर 40 से 50 लोग अपना हक जता रहे हैं! कोल इंडिया का कहना है कि वह सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर जमीनें खाली करवाएं तभी वे कोयले का प्रोडक्शन बढ़ा पाएंगे!

पहले भी देश को ब्लैक आउट का सामना करना पड़ा

इससे पहले भी देश को ब्लैक आउट का सामना करना पड़ा था सं 2012 में! थर्मल पावर में कोयले की कमी से! काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ा था उस समय और इसी के लिए केंद्र की सरकार जी जान लगा रही है कि फिर से उसे दोहरे ना जाये!

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