कोरोना को हराने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है। यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है।
गुजरात में म्यूकोरमाइकोसिस के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं। स्थिति इतनी खराब है कि राज्य सरकार ने इसके लिए अलग से वार्ड बनाने शुरू कर दिए हैं। यहां अबतक 200 से ज्यादा मामले सामने आ गए हैं। इनमें से कई मरीजों की आंख की रोशनी तक जा चुकी है।
हरियाणा
हरियाणा सरकार ने ब्लैक फंगस को नोटिफाइड डिजीज (अधिसूचित रोग) घोषित कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के कई मामले सामने आ चुके हैं। अब नए मामले मिलने पर डॉक्टर जिले के सीएमओ को रिपोर्ट करेंगे। विज ने कहा कि यदि राज्य के किसी सरकारी या निजी अस्पताल में कोई रोगी ब्लैक फंगस से पीड़ित पाया जाता है तो इसकी जानकारी संबंधित सीएमओ को देनी होगी ताकि बीमारी की रोकथाम के लिए कदम उठाए जा सकें।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में पिछले साल कोविड-19 फैलने के बाद से अब तक दुर्लभ और गंभीर फंगल संक्रमण ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) से 52 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 8 मरीजों के एक आंख की दृष्टि गायब हो गई है, जिससे उन्हें दिखाई देना बंद हो गया है। सूबे में तेजी से फैल रहे इस रोग से राज्य स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ गई है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने पहली बार ब्लैक फंगस से मृत लोगों की सूची बनाई है। जिसमें यह आंकड़ा सामने आया है।
दिल्ली
दिल्ली में ब्लैक फंगस के अभी तक कुल 160 मरीज मिले हैं और एम्स में इसके 23 मरीजों का इलाज हो रहा है।
बिहार
बिहार में ब्लैक फंगस के 29 कुल मामले सामने आए। जिनमें से 8 पटना एम्स में भर्ती हैं। अन्य अस्पतालों में बाकियों का भी इलाज चल रहा है।
ओडिशा
ओडिशा में सोमवार (10 मई) को पहला ब्लैक फंगस का मामला सामने आया। इसके बाद राज्य में मामले बढ़ते ही गए। सरकार ने मरीजों में ब्लैक फंगस की निगरानी को लेकर सात सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है।
तेलंगाना
हैदराबाद में भी ब्लैक फंगस के 60 के करीब मामले सामने आ चुके हैं। यहां हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से लगभग 50 मामले एक महीने के अंदर जुबली हिल्स स्थित अपोलो अस्पताल में सामने आए हैं।
कर्नाटक
इन पांच राज्यों के अलावा कर्नाटक में भी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले देखने को मिल रहे हैं। बंगलूरू में पिछले दो हफ्तों में इस बीमारी के 38 मामले सामने आए हैं। इस बीमारी से संक्रमित मरीजों की देखभाल के लिए अस्पतालों में एक विशेष व्यवस्था बनाई गई है।
राजस्थान
राजस्थान में भी ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां जयपुर में 14 से ज्यादा मामले आ चुके हैं और कई मरीजों ने अपनी आंख की रोशनी तक खो दी है।
मध्यप्रदेश
महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश में भी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले देखने को मिले हैं। इस बीमारी से अबतक यहां दो लोगों की जान चली गई है। राज्य में इसके 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। राज्य के डॉक्टर इसके इलाज के लिए अमेरिकी डॉक्टर से परामर्श ले रहे हैं।
केरल
केरल में भी ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आ रहे हैं। राज्य चिकित्सा बोर्ड अध्ययन के लिए अपने स्तर पर नमूने इकट्ठा कर रहा है। इसके बाद ही पता लगेगा कि राज्य में कितने मामले हैं।
म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस क्या है?
अमेरिका के सीडीसी के मुताबिक, म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। लेकिन ये गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं। ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है।
जानिए इसके लक्षण क्या हैं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने ट्वीट कर बताया है कि आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, खांसी, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, साफ-साफ दिखाई नहीं देना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं।
ज्यादा स्टेरॉयड देने पर ब्लैक फंगस का खतरा: गुलेरिया
कोरोना से ठीक होने वाले या संक्रमण के दौरान मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इसके चलते मरीजों की मौत तक हो रही है। एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, आमतौर पर पांच से 10 दिन तक ही स्टेरॉयड की जरूरत पड़ती है, इससे ज्यादा दिनों तक मरीज को यह दवाएं दी जाएं तो ब्लैक फंगस की आशंका काफी बढ़ जाती है। स्टेरॉयड दे रहे हैं तो मरीज की पूरी निगरानी करना भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। ब्लैक फंगस से बचने के लिए मरीज की निगरानी बहुत जरूरी है।