देश में कोरोना टीकाकरण के दौरान विभिन्न राज्यों में टीके की 58 लाख से भी अधिक खुराकें बर्बाद हुई हैं। केंद्र सरकार ने प्रति खुराक 150 रुपये की दर से इन्हें खरीदा था। इस हिसाब से टीकाकरण के 88 दिन में सरकार को 87 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है।
राज्यों में टीकाकरण की ताजा समीक्षा रिपोर्ट का खुलासा हुआ है कि अब तक, 58,36,592 डोज बर्बाद हुए हैं, जिनकी कीमत तकरीबन 87.55 लाख रुपये है। सर्वाधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में ही अब तक दी गईं 1.06 करोड़ खराकों में से 90 लाख का इस्तेमाल हुआ, जबकि पांच लाख से अधिक खुराकें नष्ट करना पड़ा गया। इस वजह से करीब साढ़े सात करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार केरल को छोड़ अन्य किसी भी राज्य में टीका बर्बाद होने की दर शून्य तक नहीं पहुंची है। बीते 35 दिन में पांच बार राज्यों को इसके लिए सख्त निर्देश दिए जा चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का कहना है, कुछ राज्यों में अभी भी टीके के बर्बाद होने की दर आठ ने नौ फीसदी तक है, जो चिंता का विषय है।
कोवाक्सिन के साथ कोविशील्ड टीके की खुराक भी बर्बाद हो रही है। कई केंद्रों पर स्थिति हो कि चार घंटें बाद पूरा वॉयल तक नष्ट करना पड़ा रहा है, जिसका सीधी नुकसान केंद्र को हो रहा है।
दरअसल, कोविशील्ड के एक वॉयल में 10 लोगों की खुराक होती है। जबकि कोवाक्सिन के एक वॉयल में 20 खुराक हैं। एक बार वॉयल खुल जाता है तो चार घंटे के अंदर सभी डोज लगाना जरूरी है, लेकिन केंद्रों पर देखने को मिल रहा है कि एक एक वॉयल चार से पांच डोज बर्बाद ही रही है।
बकौल स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, सुबह जब टीकाकरण की समीक्षा की गई तो पता चला कि 13 अप्रैल की सुबह 8 बजे तक देश में 10,85,33,085 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है।जबकि राज्यों में कुल खपत 11,43,69,677 खुराकों की गई है। इन्हें आंकड़ों के हिसाब से अब तक 58 लाख से भी अधिक खुराकें नष्ट होने का आंकड़ा निकलता है।
केंद्र सरकार के अनुसार टीके के प्रति खुराक के लिए 150 रुपये का शुल्क फार्मा कंपनी को देना पड़ रहा है। जबकि 100 रुपये सर्विस चार्ज मिलाकर प्रति व्यक्ति प्रति खुराक 250 रुपये निजी केंद्र पर भुगतान करता है। इस तरह अब तक 87 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का नुकसान हुआ है। यह सिलसिला जल्दी नहीं रुका तो अगले एक से दो सप्ताह मे बर्बाद डोज की कीमत 100 करोड़ रुपये हो सकती है।
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का कहना है कि देश में टीके की कमी नहीं है। खुराक बर्बाद होने से रोकने के लिए बार बार राज्यों को सलाह दी जा रही है कि वह हर दिन समीक्षा करते हुए ज्यादा बर्बादी वाले केंद्रों पर ध्यान बढ़ाएं।