चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा कि 20वीं शताब्दी में सूचना समावेश और तकनीकी विकास के कारण युद्ध के चरित्र और प्रकृति में गहरा परिवर्तन देखा गया है। नए उपकरण और रणनीति को लोगों से तेजी से जोड़ने के लिए नियोजित किया जा सकता है, जैसा कि पहले कभी नहीं हुआ।
कॉन्फ्रेंस में सीडीएस रावत ने कहा, भारत एक जटिल सुरक्षा और चुनौतीपूर्ण वातावरण का सामना कर रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति, उच्च रक्षा रणनीतिक मार्गदर्शन, उच्च रक्षा और संचालन संगठनों में संरचनात्मक सुधारों को परिभाषित करना कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कदम हैं जिसे हमें उठाने की आवश्यकता है।
सीडीएस ने कहा, ‘भारतीय सेना दुनिया की किसी भी अन्य सेना की तुलना में अधिक चुनौतियों का सामना करती है और इसलिए युद्ध के स्पेक्ट्रम को पूरा करने के लिए अन्य देशों में अपनाई गई परिवर्तन अवधारणाओं का अध्ययन करने की आवश्यकता है।’
उन्होंने आगे कहा, देश की नीति के एक साधन के रूप में सैन्य शक्ति को विभिन्न स्तरों पर बदलने की जरूरत है, जिसमें जमीनी रणनीतिक यानी राजनीतिक-सैन्य, रणनीतिक संचालन और सामरिक स्तर शामिल हैं। परिवर्तन के मुख्य आयाम सिद्धांत, पद संरचना, प्रौद्योगिकी, जीविका और तत्परता हैं।
जनरल रावत ने कहा, परमाणु युद्ध के तहत पारंपरिक युद्धों या सीमित संघर्षों के लिए संगठनात्मक संरचना पहले से मौजूद है लेकिन उन्हें री-मॉडल्ड, री-इक्विप्ड और री-ओरिएंटिड करने की आवश्यकता है। ताकि आवश्यक लचीलेपन के साथ डिजीटल युद्ध क्षेत्र में संयुक्त लड़ाई को लड़ा जा सके।