देवउठनी एकादशी के दिन से चातुर्मास की समाप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन से विवाह जैसे मांगलिक कार्यों का शुरुआत हो जाती है। कुछ साधक इस दिन व्रत भी करते हैं। देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम दिन है। ऐसे में आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को निद्रा से जगाने का गीत।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के विशेष दिन पर भगवान विष्णु 4 महीने के बाद निद्रा से जागते हैं और संसार का संचालन फिर से अपने हाथ में ले लेते हैं। यही कराण है कि इस दिन को इतना महत्व दिया गया है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 23 नवंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु को निद्रा से जगाने के लिए महिलाओं द्वारा गीत गाने की परम्परा चली आ रही है।
मूली का पत्ता हरिया भरिया ईश्वर का मुख पानी भरिया,
मूली का पत्ता हरिया भरिया रवि का मुख पानो भरिया।
(यहां रवि के स्थान पर घर के सभी पुरुषों का नाम लें)
ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो जीतेंद्र तेरे यार,
(यहां जीतेंद्र के स्थान पर घर के सभी लड़्को का नाम लें)
ओल्या-कोल्या धरे अनार जीयो कपिल तेरे यार।
ओल्या कोल्या धरे पंज गट्टे जीयो रीमा तेरे बेटे,
(यहां रीमा के स्थान पर घर की सभी लड़कियों का नाम लें)
ओल्या-कोल्या धरे पंज गट्टे जीयो नीतू तेरे बेटे।
(यहां नीतू के स्थान पर घर के सभी लड़कियों का नाम लेंगे)
ओल्या-कोल्या धरे अंजीर जीयो विमला तेरे वीर,
(इसी तरह यहां भी विमला के स्थान पर घर के लड़कियों का नाम लें)
ओल्या कोल्या धरे अंजीर जीयो पूनम तेरे बीर।
ओल्या-कोल्या लटके चाबी, एक दीपा ये तेरी भाभी,
ओल्या-कोल्या लटके चाबी एक कपिला ये तेरी भाभी।
(इसी तरह से परिवार की सब बहुओं के नाम लें)
बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी राज करे वीरेंद्र की दादी,
(यहां वीरेंद्र के स्थान पर घर के सभी लड़को का नाम लेंगे)
बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी राज करे रमेश की दादी।
(यहां रमेश के स्थान पर घर के सभी लड़को का नाम लेंगे)
बुल बुलड़ी नै घालो गाड़ी राज करे रोहण की दादी,
जितनी इस घर सींक सलाई उतनी इस घर बहूअड़ आई।
जितनी खूंटी टांगू सूत उतने इस घर जनमे पूत,
जितने इस घर ईंट रोड़े उतने इस घर हाथी घोड़े।
उठ नारायण, बैठ नारायण, चल चना के खेत नारायण,
में बोऊँ तू सींच नारायण, में काटृ तू उठा नारायण।
मैं पीस तू छान नारायण, में पोऊ तू खा नारायण,
कोरा करवा शीतल पानी, उठो देवो पियो पानी |
उठो देवा, बैठो देवा, अंगुरिया चटकाओ देवा ॥
जागो जागो भारद्वाज गोतियों के देवा..
(यहां अपने गोत्र का नाम लें)
नमोस्तुते !