वाराणसी: विश्वप्रसिद्ध देव दीपावली पर इस बार भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काशी पहुंचेंगे। पुलिस प्रशासन के मुताबिक वह पांच नवंबर को दोपहर बाद बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां से पुलिस लाइन और फिर सर्किट हाउस पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलेंगे।
इसके बाद शाम को क्रूज से वह देव दीपावली का नजारा देखेंगे। इसी से वह गंगा आरती देखेंगे। देव दीपावली कार्यक्रम के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ और बाबा काल भैरव का दर्शन पूजन करेंगे। छह नवंबर की सुबह वह प्रधानमंत्री के आगमन की तैयारियों को परखेंगे और शाम को लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे।
हर-हर शंभू, शिव तांडव और हे शिवा शिवा… पर थिरकेंगी रोशनी की लहरें
देव दीपावली पर इस बार काशी में फिर से दिव्यता, भव्यता और आधुनिकता का अद्भुत उदाहरण दिखाई देगा। घाटों पर लाखों दीपों की रोशनी, लेजर शो और कोरियोग्राफ ग्रीन क्रैकर्स शो पर्यटकों और श्रद्धालुओं को मुग्ध करेंगे। शिव भजनों की धुन पर करीब 10 मिनट तक चलने वाला ग्रीन एरियल फायर क्रैकर शो रात 8 बजे शुरू होगा। हर-हर शंभू, शिव तांडव और हे शिवा शिवा… जैसे भजनों की ताल पर डमरुओं की थाप और सतरंगी रोशनी के संगम से घाटों का वातावरण भक्तिमय हो उठेगा।
गंगा पार रेती का क्षेत्र कोरियोग्राफ और सिंक्रोनाइज ग्रीन क्रैकर्स शो की रंगीन रोशनी से नहाया हुआ नजर आएगा। यह शो श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के सामने होगा, जो आधुनिक तकनीक फायर वन फायरिंग सिस्टम के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। करीब एक हजार फीट लंबी रेत के स्ट्रेच पर होनी वाली आतिशबाजी के पटाखे 200 मीटर ऊंचाई तक रोशनी बिखेरेंगे। इनका रंगीन प्रकाश घाटों, गंगा की लहरों और दूर-दूर तक फैले क्षेत्र को आलोकित कर देगा। खास बात यह है कि यह आतिशबाजी ग्रीन क्रैकर्स से होगी। लेजर शो भी पूर्णिमा की रात में गंगा के ऊपर के आसमान को रंग-बिरंगी किरणों से सजाएगा। जब ये किरणें गंगा के जल पर झिलमिलाती दिखेंगी, तब संपूर्ण काशी एक दिव्य स्वप्न लोक जैसी प्रतीत होगी।
25 मिनट का काशी कथा का दिव्य थ्रीडी शो
देव दीपावली पर चेतसिंह घाट पर 25 मिनट का ‘काशी कथा’ थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग व लेजर शो होगा। यह शो एक घंटे के अंतराल पर तीन बार रात 8:15, नौ और 9:35 बजे तक होगा। इस भव्य थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग शो के माध्यम से काशी आने वाले पर्यटक धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा के साक्षी बनेंगे। शो की शुरुआत शंखनाद और डमरू की गूंज से होगी। इसके बाद भगवान शिव-पार्वती विवाह, भगवान श्रीहरि विष्णु के चक्र पुष्करिणी कुंड, भगवान बुद्ध के धर्मोपदेश, संत कबीर और गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति परंपरा और महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना तक की झलक प्रस्तुत की जाएगी।
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