कोरोना वायरस ने इंसानी शरीर में एक नई और रेअर कंडीशन बना दी है. ब्रिटेन में एक 57 वर्षीय कोरोना मरीज इस दुर्लभ समस्या से जूझ रहा है.

दुनिया में ऐसा पहला मामला है जब कोरोना मरीज को पैरालिसिस का अटैक आया हो. इस शख्स के दोनों हाथ लकवाग्रस्त हो गए हैं.
डेली मेल में प्रकाशित खबर के मुताबिक, ब्रिटेन में रहने वाला 57 वर्षीय शख्स 13 अप्रैल को अस्पताल पहुंचा. वह अपना हाथ नहीं उठा पा रहा था.
स्टैडंर्ड प्रोसीजर के तहत उसकी कोविड-19 जांच हुई. वह कोरोना संक्रमित पाया गया. इसके बाद उसे तत्काल आईसीयू में भर्ती किया गया.
तीन दिन के बाद उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई. न तो वो सांस ले पा रहा था. न ही कुछ निगल पा रहा था. उसके शरीर का ऊपरी हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है.
जांच में पता चला कि उसे गिलेन बारे सिंड्रोम (GBS) नाम की दुर्लभ बीमारी हो गई है. यह एक प्रकार की ऑटोइम्यून बीमारी है जो हर साल करीब 1500 ब्रिटिश नागरिकों को होती है.
आमतौर पर इम्यून सिस्टम शरीर पर हमला करने वाले वायरस और बैक्टीरिया को मारता है. उनसे लड़ाई करता है. लेकिन गिलेन बारे सिंड्रोम में शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही नर्वस सिस्टम पर हमला करने लगता है. यह दिमाग और रीढ़ की हड्डी के आसपास मौजूद नर्वस सिस्टम की नसों को निष्क्रिय करने लगता है.
नसों के निष्क्रिय होने से शरीर के अलग-अलग अंगों में लकवा मार जाता है. यह स्थिति बेहद दुर्लभ और घातक होती है. इसकी वजह से इंसान की जान भी जा सकती है.
आमतौर पर गिलेन बारे सिंड्रोम श्वास प्रणाली (रेस्पिरेटरी सिस्टम) पर हमला करके शरीर के उस हिस्से को निष्क्रिय करता है लेकिन कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज के केस में यह शरीर यह दिमाग से लेकर रीढ़ की हड्डी की अंतिम छोर तक हमला कर रहा है.
कोरोना से जूझ रहे इस मरीज पर इस दुर्लभ बीमारी का हमला ब्रिटिश वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के लिए हैरानी से भरा हुआ है. इसकी रिपोर्ट ब्रिटिश मेडिकल जर्नल केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित भी हुई है.
रिपोर्ट में लिखा गया है कि जब मरीज अस्पताल आया था तब वह बेहद मुश्किल से खड़ा हो पा रहा था. उसकी मांसपेशिया कमजोर हो गई थीं. अगली सुबह वह चलने की स्थिति में भी नहीं था. जब डॉक्टरों को पता चला कि इस मरीज गिलेन बारे सिंड्रोम हैं तो उन्होंने दुनियाभर के डॉक्टरों से संपर्क साधा.
कुछ ही घंटे में यह पता चल गया कि जिस समय यह मरीज इस घातक बीमारी से जूझ रहा था, उसी समय दुनियाभर में करीब 8 मरीज भी इसी समस्या से लड़ रहे थे.
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