राजधानी दिल्ली में चल रही उपराज्यपाल और सरकार के बीच की जंग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है. इ फैसले को आम आदमी पार्टी अपनी जीत बता रही है, कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल कैबिनेट की सलाह के बाद ही कोई फैसला ले सकते हैं वह पूरी तरह स्वतंत्र नहीं हैं. हालांकि, केंद्र सरकार इस फैसले को अपने लिए कोई बड़ा झटका नहीं मान रही है.
सूत्रों की मानें तो सरकार का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संविधान के प्रावधानों पर ही जोर दिया गया है. अभी भी कानून-व्यवस्था, पुलिस और लैंड दिल्ली सरकार के पास नहीं है. सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि कोर्ट ने सरकार पर टिप्पणी की है कि अराजकता नहीं होनी चाहिए.
सरकार का बयान है कि दिल्ली सरकार के जो अधिकार हैं उस पर केंद्र ने कभी भी प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया, लेकिन इन तीन मामलों में अधिकार राष्ट्रपति के पास है जिनके एजेंट एलजी हैं. केजरीवाल चाहते थे कि दिल्ली को बाकी राज्यों की तरह मान कर एलजी की भूमिका राज्यपालों की तरह सीमित कर दी जाए, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं किया.
सरकार अभी भी कह रही है कि केंद्र ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दिया, जो मामले दिल्ली सरकार के हैं, उसमें फैसले दिल्ली सरकार ने ही लिए.