दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 में विरोधियों को मात देने के लिए भाजपा नए चेहरों पर दांव लगा सकती है, इसलिए कई कद्दावर नेता इस बार चुनावी दंगल से दूर रखे जा सकते हैं।

ऐसे में उनकी जगह अपने क्षेत्र में जनाधार रखने वाले युवाओं को तरजीह मिलने की संभावना जताई जा रही है। प्रत्याशियों की खोज के लिए पार्टी ने विधानसभा स्तर पर रायशुमारी भी कराई है। बताते हैं कि लगभग सभी क्षेत्रों में युवा दावेदारों की अच्छी खासी संख्या है।
दिल्ली में भाजपा अपनी छवि बदलने के लिए पुराने चेहरों की जगह युवाओं को आगे लाने में जुटी हुई है। इसलिए दिल्ली की कमान उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी को दी गई है।
उनकी टीम में भी युवाओं को तरजीह मिली है। दिल्ली से अधिकतर सांसद भी युवा हैं। युवा नेताओं को संगठनात्मक दायित्व देने के साथ ही प्रदेश भाजपा की ओर से होने वाले कार्यक्रमों को सफल बनाने की भी जिम्मदारी सौंपी जा रही है। चुनाव प्रबंधन समिति में भी इन्हें महत्व दिया गया है। अब इन नेताओं को चुनावी दंगल में उतारकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को मात देने की रणनीति बनाई जा रही है।
वहीं, पार्टी के नेताओं का कहना है कि कई नेता चार से छह चुनाव लड़ चुके हैं। इससे भाजपा की छवि बुजुर्ग नेताओं वाली बन गई है, इसलिए भाजपा नेतृत्व के सामने दिल्ली में पार्टी की छवि बदलने की चुनौती है और इसके लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं।
दिल्ली में 51.30 फीसद मतदाताओं की आयु 18 से 39 वर्ष है। 35.13 फीसद प्रौढ़ और 13.55 फीसद बुजुर्ग मतदाता हैं। इस तरह से दिल्ली में आधे से ज्यादा मतदाताओं की आयु 40 वर्ष से कम है। इसे अपने साथ जोड़ने के लिए पार्टी युवा नेताओं को चुनाव मैदान में उतारना चाहती है।
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