आम आदमी पार्टी (AAP) ने गृह मंत्री अमित शाह के उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जाहिर की है जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के इस बयान से डर पैदा हुआ था कि दिल्ली में जुलाई के अंत तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 5.5 लाख के पार पहुंच जाएगी. शाह ने कहा कि इस बयान के बाद प्रधानमंत्री ने उन्हें दिल्ली सरकार की मदद करने को कहा था.
अमित शाह के बयान पर आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा, “जब कोरोना फैलना शुरू हुआ तब दिल्ली की स्थिति देश से काफी अलग थी. फरवरी से मार्च तक 35 हजार लोग उस देश से दिल्ली आए जहां कोरोना का संक्रमण फैला हुआ था.”
सौरभ भारद्वाज ने कहा, “केंद्र सरकार ने उन्हें लेकर आई, दिल्ली सरकार ने उनका स्वागत किया. जब लॉकडाउन था तब स्थिति ठीक थी. लेकिन लॉकडाउन खुलते ही कोरोना के मामले बढ़ गए.
फिर बेड्स की कमी का आभास हुआ. तब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सभी से मदद मांगी क्योंकि ये लड़ाई बिना मदद के जीती नहीं जा सकती, न लड़ी जा सकती है. केंद्र सरकार से मदद मांगी गई और मदद मिली भी है. आज कॉमन एफर्ट्स से दिल्ली में कोरोना कंट्रोल करने में सक्षम हुए हैं.”
असल में, गृह मंत्री अमित शाह समाचार एजेंसी के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि दिल्ली के डिप्टी सीएम (मनीष सिसोदिया) के इस बयान से डर पैदा हुआ था कि दिल्ली में जुलाई के अंत तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 5.5 लाख के पार पहुंच जाएगी.
इस बयान के बाद प्रधानमंत्री ने उन्हें दिल्ली सरकार की मदद करने को कहा था. दिल्ली में कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. अब यही मॉडल एनसीआर में भी लागू किया जाएगा. अमित ने कहा कि इस बारे में वह उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से बात करने वाले हैं.
अमित शाह ने कहा कि कोरोना के प्रकोप को रोकने के लिए दिल्ली में उठाए जा रहे कदमों के बारे में दिल्ली सरकार के साथ कोई खींचतान नहीं है और सारे फैसले दिल्ली सरकार की सहमति से लिए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना के इलाज को लेकर कई शिकायतें आ रही थी. खासकर कोरोना के कारण जान गंवाने वाले लोगों का अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था. करीब 350 शव ऐसे ही पड़े थे. अब इसके लिए व्यवस्था बना दी गई है.
गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना के इलाज में बदइंतजामी की कई शिकायतें आ रही थीं. हमने एम्स में एक हेल्पलाइन बनाई है.
इसके जरिये एम्स के डॉक्टर दिल्ली के अस्पतालों के डॉक्टरों को सुझाव देते हैं. साथ ही डॉक्टरों की तीन टीमों का भी गठन किया गया जिसमें केंद्र, आईसीएमआर और दिल्ली के डॉक्टर शामिल थे. इनके सुझावों पर दिल्ली में अस्पतालों की खामियों को दूर किया गया है.