पेट्रोल-डीजल की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने का मसला आज संसद में गूंजा. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कई दलों के सांसदों ने यह मसला उठाया. लेकिन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दो टूक कहा कि केंद्र सरकार कुछ नहीं कर सकती क्योंकि कीमतें पेट्रोलियम कंपनियां तय कर कर रही हैं और यह क्रूड की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती हैं.
गौरतलब है कि पिछले दो महीनों में लगातार कुछ-कुछ अंतराल में ईधन तेलों के दामों में लगातार वृद्धि हुई है. पिछले एक साल में पेट्रोल की कीमत करीब 18 रुपये लीटर बढ़ गई है. बुधवार को दिल्ली में बुधवार को दिल्ली में पेट्रोल का दाम रिकॉर्ड 87.60 रुपये लीटर हो गया.
टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कहा कि सरकार को टैक्सेज में कटौती करनी चाहिए. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तेल की कीमतें सिर्फ केंद्र सरकार के टैक्सेज पर नहीं बल्कि राज्य सरकारों के टैक्स और अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करती है. इसकी कीमतें बाजार के आधार पर तय होती हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकारें भी अपनी विकास की जरूरत के मुताबिक टैक्सेज बढ़ाती रही हैं.
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘ पेट्रोलियम पदार्थों पर हर सरकार टैक्स लगाती रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब कच्चे तेल के दाम बढ़ते घटते हैं उस आधार पर यहां पेट्रोल-डीजल के दामों में उतार चढ़ाव होती है. सरकारी तेल कंपनियों को आजादी दी गयी है दाम तय करने को लेकर. भारत 85 फीसदी अपने खपत का कच्चा तेल आयात करता है.’
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की जनकल्याण की योजना के लिए कमिटमेंट है जिसके चलते पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाया जाता है क्योंकि ये माध्यम रहा है और सभी पार्टी की सरकारें ऐसा करती आई हैं. पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है तो राज्य सरकारें भी वैट वसूलती हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले 300 दिनों में 60 दिन पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं तो 21 दिन पेट्रोल के, 7 दिन डीजल के दाम घटे भी है. समाजवादी पार्टी के सांसद विश्वंभर प्रसाद निषाद ने पेट्रोलियम मंत्री से पूछा, ‘सीता माता की धरती नेपाल में पेट्रोल-डीजल भारत से सस्ता है, रावण के देश श्रीलंका में भारत से कम कीमत है तो क्या राम के देश में सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम कम करेगी?’
इस पर पेट्रोलियम मंत्री ने जवाब दिया कि इन देशों के साथ भारत की तुलना करना गलत है क्योंकि वहां समाज के कुछ खास वर्गों को ही यह मिल पाता है. इन देशों में केरोसिन ऑयल 57 रुपये प्रति लीटर है, जबकि भारत में यह 32 रुपये प्रति लीटर है. कांग्रेस सदस्य के.सी. वेणुगोपाल ने मंत्री की प्रतिक्रिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वह तथ्यों को ठीक से नहीं बता रहे हैं.