आस्था के महापर्व छठ पूजा पर जीवनदायिनी यमुना के कई घाटों पर पानी डुबकी लगाने पर संकट खड़ा हो गया है। इसकी वजह नदी की सतह पर सफेद झाग की मोटी परत का फैलना है। सरकार के दावों के बीच ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) की हालिया रिपोर्ट ने साफ यमुना को लेकर चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि यमुना में झाग का जिम्मेदार डिटर्जेंट और नालों से आने वाला गंदा पानी है। ओखला बैराज के पास पानी में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि श्रद्धालुओं को सोचने को विवश होना पड़ रहा है कि आखिर छठ की पवित्र डुबकी इस पानी में कैसे लगाई जाए?
टेरी ने दिल्ली सरकार के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट और कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें झाग बनने के कारणों की पहचान की गई है और उसे रोकने के लिए कई ठोस सुझाव दिए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना में झाग तब बनता है जब नदी में मौजूद गंदा पानी, डिटर्जेंट में पाए जाने वाले रसायन (सर्फेक्टेंट) और पानी की तेजी या अशांति आपस में मिल जाते हैं।
यह समस्या ओखला बैराज के पास अधिक देखने को मिलती है, जहां गेट खुलने पर पानी में कीचड़ हिलता है और झाग उठने लगता है। अध्ययन में बताया गया है कि यमुना में गिरने वाले बिना साफ नाले और फॉस्फेट वाले डिटर्जेंट झाग की सबसे बड़ी वजह हैं। इसे रोकने के लिए टेरी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सुझाव दिया गया है कि वह पानी की जांच में अमोनिया और फॉस्फेट स्तर को भी शामिल करें। साथ ही, धोबी घाटों और कपड़े धोने वाले केंद्रों में छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाए जाएं।
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