राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी विकराल रूप लेती जा रही है. पिछले 24 घंटे में कोरोना के 7 हजार से ज्यादा नए केस आए हैं. जबकि 64 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में बेड की कमी की बात सामने आ रही है.
दिल्ली में कोरोना महामारी तेजी से बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद तीसरी लहर की बात कर चुके हैं. दिल्ली हाईकोर्ट भी सरकार को फटकार लगा चुकी है. कोर्ट ने तो यहां तक कह दिया कि जल्द ही दिल्ली कोरोना कैपिटल बन सकती है. ऐसे में दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में बेड की कमी की बात भी सामने आने लगी है.
दिल्ली वालों को कोरोना और प्रदूषण के डबल अटैक से बचना मुश्किल हो रहा है. प्रदूषण की वजह से लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है. दिल्ली में जिस तेजी से कोरोना के केस बढ़ रहे हैं. उसी तेजी से अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड की समस्या बढ़ती जा रही है.
दिल्ली कोरोना ऐप के मुताबिक “राजधानी में सरकारी और निजी अस्पतालों में कुल 15,842 बेड हैं, जिनमें से 7,595 बेड भर चुके हैं और 8,347 बेड खाली हैं. अगर बात वेंटीलेटर युक्त बेडों की करें तो दिल्ली के सभी अस्पतालों में 1,246 वेंटीलेटर युक्त बेड हैं, जिनमें से 911 भर चुके हैं और 335 बेड खाली हैं. वहीं, दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ 360 ही ICU बेड बचे हैं.”
दिल्ली सरकार की तरफ से बनाई गई कोरोना ऐप के मुताबिक, दिल्ली में निजी और सरकारी अस्पताल मिला कर 50 ऐसे अस्पताल हैं जिनमें एक भी वेंटिलेटर बेड खाली नही बचे है. इसके अलावा करीब 30 ऐसे अस्पताल हैं जिनमे 5 से कम वेंटिलेटर बेड हैं. कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में आ गई दिल्ली में अगर अस्पतालों का ये हाल हैं, तो कोरोना के बढ़ते मरीजों का इलाज कैसे हो पाएगा. इसके बारे में अभी तक दिल्ली सरकार के पास कोई योजना नहीं दिखती है.