भारतीय सेना 14 से 16 अक्तूबर तक नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदानकर्ता देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन की मेजबानी करेगी, जिसमें 30 से अधिक देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल होंगे। सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सहयोग और संवाद को सुदृढ़ किया जाएगा। साथ ही, प्रौद्योगिकी के जरिये शांति अभियानों की प्रभावशीलता बढ़ाने पर विचार होगा। भारत यात्रा के दौरान ये सभी सैन्य अधिकारी ताजमहल का दीदार करने पहुंचेंगे।
राजधानी में तीन दिवसीय सम्मेलन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसमें चीन व पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देश शिरकत कर रहे हैं। सम्मेलन के दौरान जमीनी चुनौतियों के मुताबिक मिशनों को अधिक उत्तरदायी बनाने पर भी बातचीत होगी। इस सम्मेलन को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी समेत कई अधिकारी संबोधित करेंगे।
कार्यक्रम की रूपरेखा
तय कार्यक्रम के मुताबिक सभी सेना प्रमुख 13 अक्तूबर यानी सोमवार शाम तक भारत पहुंचेंगे। अगले दिन 14 अक्तूबर को सेना के मानेकशॉ सेंटर में उनकी अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें होंगी। कई देशों के सेना प्रमुखों ने भारत में अपने सैन्य पाठ्यक्रम पूरे किए हैं और भारत आकर अपने सहपाठियों से मिलेंगे। अगले दिन 15 अक्तूबर को सुबह आगरा में ताजमहल का दीदार करेंगे। यहां सेना स्वदेशी हथियारों की प्रदर्शनी भी लगाएगी जिसमें स्वदेशी सैन्य तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा, ताकि प्रतिभागी देश रक्षा क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों से परिचित हो सकें।
ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र
सम्मेलन में शामिल होने वाले सेनाध्यक्षों को ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी भी दी जाएगी। भारत लगातार कहता रहा है कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य आतंकी शिविरों को निशाना बनाना था, न कि किसी देश पर हमला करना। सम्मेलन में श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, इटली, फ्रांस, इंडोनेशिया, ब्राजील और मलेशिया समेत लगभग 30 देश हिस्सा लेंगे।
यूएन शांति सेना में भारत
1948 से अब तक 2.90 लाख भारतीय सैनिकों ने 50 से ज्यादा यूएन मिशन में योगदान दिया है, जो दुनिया में सबसे बड़ा योगदान है। भारतीय सैनिकों ने दुनिया के सबसे कठिन क्षेत्रों जैसे कांगो, दक्षिण सूडान, लेबनान आदि में न केवल साहस दिखाया है, बल्कि अस्पताल, स्कूल और सड़कें बनाकर अपनी सेवा भावना से दिल भी जीते। अब तक 180 से ज्यादा भारतीय सैनिकों ने शांति के लिए बलिदान दिया है।