सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली में कोरोना वायरस मरीजों के समुचित उपचार और शवों के साथ गरिमापूर्ण सलूक नहीं होने को लेकर सुनवाई की। बता दें कि, कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि दिल्ली में कोरोना जांच में कमी क्यों की गई है। मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजीत प्रकाश शाह ने कहा है कि लाशों को अव्यवस्थित तरीके से रखा जा रहा है, आखिर ये हो क्या रहा है? उन्होंने इसके लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में शवों की उचित देखभाल नहीं की जा रही है। मरीजों के परिवारों को भी मौतों के बारे में सूचित नहीं किया जा रहा है। कुछ मामलों में, परिवार अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए हैं।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कुछ परेशानियां है। कोरोना जांच घट रही है। पहले 7000 तक जांच की जा रही थी, लेकिन अब सिर्फ 5000 तक जांच की जा रही है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आपने जांच क्यों घटा दी है।
जहां मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में जांच बढ़कर 15000 से 17000 तक पहुंच गई है, वहीं दिल्ली में इसमें कमी देखी जा रही है। दिल्ली के अस्पतालों में शवों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा है, हालात बेहद खराब हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में हर रोज कोविड-19 के 10 हजार मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में जांच क्यों घटाई गई, ये समझ से परे है। दिल्ली सरकार ने जांच बढ़ाने के लिए क्या-क्या किया है, उसे ये बताना चाहिए। इसके अलावा दिल्ली के अस्पतालों में शवों के रख रखाव की हालत बेहद चिंताजनक है।
मामले पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार की ओर से शवों को लेकर दिशानिर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज को लेकर सरकार काम कर रही है, लेकिन कल जो तस्वीरें सामने आईं वो काफी भयावह थी।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के बाद भी अगर राज्य इन्हें लागू नहीं कर रहे हैं, तो आप आखिर कर क्या रहे हैं? एक राज्य में लाश गटर में मिल रही है। अगर बेड हैं तो फिर सरकारी अस्पतालों की स्थिति क्या है?
इस मामले पर अब शीर्ष अदालत ने दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा कोर्ट ने दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल सहित राज्य सरकारों को इस मामले पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया। कोर्ट ने राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा है कि वे रोगी प्रबंधन प्रणाली की स्थिति देखें और उचित स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
वहीं, अदालत ने केंद्र को भी नोटिस जारी करते हुए इस मुद्दे पर एक विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने सभी पक्षों को कोविड-19 रोगियों और संक्रमित लोगों के शवों के प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों पर 17 जून तक जवाब देने को कहा। वहीं, अब इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी।