दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों पर लगने वाली आग पर चौबीस घंटे निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। लैंडफिल साइटों के चारों तरफ सीसीटीवी कैमरों से बाड़बंदी करने की तैयारी हो रही है। मौजूदा समय में ओखला लैंडफिल साइट पर 32, गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 31 और भलस्वा लैंडफिल साइट पर 31 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। एसएलएफ साइटों को माचिस, लाइटर मुक्त और धूम्रपान निषेध क्षेत्र घोषित किया गया है।
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर गर्मी बढ़ते ही 22 अप्रैल को आग लग गई थी। लैंडफिल साइट के 3000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में आग की लपटें फैल गई थी। धुएं से पूर्वी दिल्ली के बड़े हिस्से के साथ-साथ नोएडा-गाजियाबाद तक लोगों को सांस लेने में समस्या पैदा हो गई थी। दमकल की गाड़ियों ने कई हजार लीटर पानी डालकर मुश्किल से आग पर काबू पाया। करीब 600 मीट्रिक टन इनर्ट डालकर आग की लपटों को शांत किया गया। एनएच-24 के बगल में स्थित लैंडफिल साइट के पास में गाजीपुर और खिचड़ीपुर गांव हैं। इस घटना के बाद एनजीटी ने दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।
मौजूदा समय गाजीपुर लैंडफिल साइट का क्षेत्रफल 29.62 हेक्टेयर है। साइट पर पहले से डंप कुल कचरा करीब 13 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक है। गाजीपुर साइट पर जमा कूड़ा कुछ स्थानों पर करीब 60 मीटर से अधिकतम ऊंचाई तक पहुंच गया है। इसकी औसत ऊंचाई करीब 50 मीटर है। इस साइट पर 60 से 80 डिग्री का तीव्र ढलान है। ऐसी ही स्थिति ओखला और भलस्वा लैंडफिल साइट में भी है।
लैंडफिल साइटों पर मिथेन गैस से लग जाती है आग
कचरे के अपघटन के कारण लैंडफिल साइटों से बड़ी मात्रा में मीथेन गैस निकलती है। लैंडफिल से निकलने वाली मीथेन गैस अत्यधिक ज्वलनशील होती है, जिससे आग लग जाती है। आग बुझाने के बावजूद कूड़े में दबी रहती है और मीथेन गैस की उपस्थिति के कारण बार-बार धधक उठती है। एमसीडी के डेम्स विभाग के चीफ इंजीनियर दिनेश यादव ने बताया कि आग की लपटें उठने से पहले इसे शांत करने के लिए मौजूदा समय मलबा, मिट्टी की परत चढ़ाकर रोज कूड़े को ढकने का काम किया जा रहा। कूड़े के ऊपरी हिस्से को छत की तरह बनाया जा रहा। एसएलएफ साइट पर काम करने वाले फील्ड स्टाफ को लिखित निर्देश दिया गया है कि यदि किसी व्यक्ति को कूड़ा जलाते पकड़ा गया तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। अनधिकृत लोगों के यहां प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
गैस निकालने के लिए साइट पर डाली गईं पाइप
आग सुलगने के खतरे को कम करने के लिए डंप कचरे की ऊपरी परत में कुछ स्थानों पर छेद करके पाइप डाले गए हैं, ताकि लैंडफिल के भीतर से गैस बाहर निकल सके। यदि इसके बावजूद यहां आग लग जाती है तो इसके लिए तत्काल अग्निशमन गाड़ियों को बुलाया जाएगा। दिल्ली फायर सर्विस की रिजर्व गाड़ियां साइट के पास के स्टेशनों पर तैनात हैं।
साइटों पर जमा कचरे को तेजी से घटाने पर फोकस
एमसीडी के अधिकारियों का कहना है, लैंडफिल साइटों पर आग पर नियंत्रण के साथ यहां जमा कचरे को तेजी से घटाने पर इनका फोकस है। इनकी ढलान खत्म करने का प्रयास चल रहा है। एनएचएआई के साथ समझौते के तहत भूमि की भराई में ज्यादा संसाधित कचरे को भेजा जा रहा है। अग्नि प्रबंधन के लिए विशेष एजेंसी लगाने की भी तैयारी है।
कहां, कितने कैमरे लगे हैं अभी
- ओखला 32
- गाजीपुर 31
- भलस्वा 31