राजधानी में हवा की दिशा व गति बदलने से शुक्रवार को वायु गुणवत्ता बेहद खराब रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 331 दर्ज किया गया। इसमें गुरुवार की तुलना में छह अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। दिनभर स्मॉग की चादर छाई रही। डिसिजन स्पोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के मुताबिक, हवा में ट्रांसपोर्ट से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 21.408 फीसदी, कूड़ा जलने से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 2.112 फीसदी रही।
सीपीसीबी का पूर्वानुमान है कि रविवार तक वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में रहेगी। शुक्रवार को बवाना, मुंडका में एक्यूआई गंभीर श्रेणी में रहा, जबकि अशोक विहार, जहांगीरपुरी समेत 24 इलाकों में एक्यूआई बेहद खराब और 10 इलाकों में एक्यूआई खराब श्रेणी में दर्ज किया गया।
एनसीआर में प्रदूषित शहर का एक्यूआई
दिल्ली——-331
ग्रेटर नोएडा—-270
नोएडा——-259
गुरुग्राम——-254
गाजियाबाद—-253
फरीदाबाद—–190
(नोट: आंकड़े सीपीसीबी के मुताबिक)
विभिन्न इलाकों में अधिकतम एक्यूआई
-बवाना———-426
-मुंडका———-406
-आनंद विहार——388
-जहांगीरपुरी——-373
-द्वारका सेक्टर 8—-368
-मथुरा रोड़——–299
(नोट : यह सभी आंकड़े सीपीसीबी के मुताबिक)
बारिश ने नहीं दिया साथ, दिल्ली-एनसीआर पर प्रदूषकों का बोलबाला
राजधानी में बारिश ने नवंबर माह में साथ नहीं दिया है। दिल्लीवासी इस माह में बारिश ही नहीं, बल्कि बूंदा-बांदी के लिए भी तरस गए। जबकि 2023 में इस माह में चार दिन बारिश हुई थी। यही नहीं, इस साल अक्तूबर का महीना भी पांच साल में सबसे ज्यादा सूखा रहा। इसका सीधा असर वायु गुणवत्ता के साथ सर्दी पर देखने को मिला रहा है। इस माह का एक दिन शेष है, लेकिन अच्छी ठंड ने दस्तक नहीं दी है। इस वर्ष नवंबर माह में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब वायु गुणवत्ता सामान्य से लेकर खराब स्तर पर रही हो। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2015 के बाद यह पहली दफा है, जब इस माह हवा केवल बेहद खराब और गंभीर श्रेणी के बीच में है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू है। लेकिन, इसका असर देखने को नहीं मिला है। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, इस साल पूरे नवंबर माह में सांसों पर संकट रहा है। इसमें 21 दिन ऐसे रहे जब हवा बेहद खराब रही। जबकि वर्ष 2023 में 17 दिन ही बेहद खराब हवा वाले थे। इसमें चार दिन हवा खराब श्रेणी में दर्ज की गई थी। वहीं, 2022 में यही 15 दिन बेहद खराब थे। इस दौरान खराब हवा वाले 12 दिन और केवल तीन दिन ऐसे थे जब हवा गंभीर श्रेणी में थी। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हवा की दशा सुधरने के बजाए इस बार और बिगड़ गई है। हवा की गति चार किलोमीटर प्रतिघंटे तक रही है, जबकि 10 किलोमीटर प्रतिघंटे होनी चाहिए।
2019 के बाद से एक भी दिन साफ नहीं रही हवा
इस वर्ष नवंबर माह में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा, जब एक्यूआई 100 से नीचे रहा हो, इस सूचकांक में हवा संतोषजनक मानी जाती है। आकंड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019 में केवल एक दिन हवा संतोषजनक व तीन दिन सामान्य श्रेणी में दर्ज की गई थी। वहीं, वर्ष 2020 में हवा के केवल दो दिन सामान्य श्रेणी में रही थी। बता दें दिल्ली में ग्रैप-चार लागू है। इसके बावजूद भी हवा की सेहत नहीं सुधर रही है।