दिल्ली: 37 करोड़ रुपये खर्च किए… 9 करोड़ लीटर पानी छोड़ा, फिर भी वेलकम झील सूखी

झील में एक बूंद पानी नहीं है। झील परिसर बदरंग दिखाई देने लगा है। हैरानी वाली बात है कि 2018 से 2022 तक इस झील के सौदर्यीकरण पर करीब 37 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसके बावजूद झील उपेक्षित नजर आ रही है।

सौंदर्यीकरण के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाके में स्थित वेलकम झील अब घास का मैदान बन गई है। झील में एक बूंद पानी नहीं है। झील परिसर बदरंग दिखाई देने लगा है। हैरानी वाली बात है कि 2018 से 2022 तक इस झील के सौदर्यीकरण पर करीब 37 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसके बावजूद झील उपेक्षित नजर आ रही है।

झील के पुनरुद्धार के बाद उसमें करीब साढ़े नौ करोड़ लीटर पानी भी छोड़ा गया था लेकिन झील में दूर-दूर तक सूखा मैदान ही नजर आ रहा है। 33 एकड़ में फैले झील परिसर में पर्यटन स्थल, समारोह स्थल और पार्क बनाया जाना था।

साथ ही बच्चों के लिए खेल का मैदान, बुजुर्गों के बैठने का स्थान, फुटपाथ, स्ट्रीट लाइटें, लाइट एंड साउंड शो, लेजर शो, कैफेटेरिया, बैंड स्टैंड, एम्फी थियेटर, मैडिटेशन गार्डन, बोटिंग और फाउंटेन जैसी चीजें भी बनाई जानी थीं, लेकिन करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद सिविक एजेंसियों की अनदेखी के चलते झील की पुरानी रौनक नहीं लौटी।

पड़ताल के दौरान देखने को मिला कि सौंदर्यीकरण के बाद झील परिसर के प्रवेश द्वार पर झुग्गियां बन गई हैं। इसके अलावा झील के पास लोगों के लिए बनाया गया सामुहिक बैठक स्थल बड़ी-बड़ी घास में दब गया है, जिससे वहां बैठने की जगह खत्म हो गई है। इसके अलावा झील के पास बना फाउंटेन अब सिर्फ गड्ढा बनकर रह गया है। फाउंटेन में न तो फव्वारा है और न ही पानी।

खेल मैदान में खोद दिए गड्ढे
स्थानीय लोगों ने बताया कि परिसर में बच्चों के लिए खेल का मैदान बनाया गया था, जिसमें बच्चों के लिए कुछ झूले लगाए गए थे। इससे सुबह-शाम बच्चे मैदान में खेल सकें। ऐसे में मैदान में सुबह-शाम बच्चे क्रिकेट खेलते थे लेकिन बच्चों की संख्या अधिक होने से नगर निगम ने मैदान में गड्ढे खुदवा दिए। इससे मैदान में बच्चे आना बंद हो गए। अब मैदान के पास दिन-रात सिर्फ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है।

पैदल पथ जर्जर, खराब पड़ी स्ट्रीट लाइटें
झील के चारों तरफ लोगों के टहलने के लिए बनाया गया पैदल पथ जर्जर अवस्था में हैं। पथ पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिससे लोगों को आवाजाही करने में परेशानी होती है। ऐसे में लोग टहलने के लिए नहीं आते हैं। इसके अलावा पार्क में लगी स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं।

ऐसे में अंधेरे का फायदा उठाकर चोर मैदान में लगे झूले चोरी कर लेते हैं। परिसर में कई बार चोरी हो चुकी हैं। झील परिसर में बुजुर्गों के बैठने के लिए बनाया गया टीन शेड टूट कर खंडहर हो गया है। शेड की छत टूटी पड़ी है। साथ ही शेड में बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियों की जगह अब सिर्फ मिट्टी रह गई है।

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