कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी का पार्थिव शरीर कल लखनऊ लाया जाएगा। 93 वर्ष की उम्र में कल दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल उनका निधन हो गया। एनडी तिवारी के नाम से विख्यात दिग्गज नेता का कल ही जन्मदिन भी था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
देश की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले दिग्गज नेता एनडी तिवारी का पार्थिव शरीर कल विशेष विमान से लखनऊ लाया जाएगा। कल विधान भवन में अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा। वह उत्तर प्रदेश के तीन बार तथा उत्तराखंड के एक बार मुख्यमंत्री रहे थे। कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति विधान भवन में एनडी तिवारी के पार्थिव शरीर पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। इसके बाद कल शाम को ही तिवारी का पार्थिव शरीर पंतनगर, उत्तराखंड ले जाया जाएगा। जहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे। इसके बाद 21 अक्टूबर को उनकी अन्त्येष्टि क्रिया सम्पन्न होगी।
लंबे समय से बीमार चल रहे स्वर्गीय एनडी तिवारी की तबीयत एक साल से काफी नाजुक थी। पिछले कुछ महीनों से तो वह अस्पताल में ही भर्ती थे। उन्हें 26 सितंबर को को आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। वह बुखार और निमोनिया से जूझ रहे थे। कल दिन में करीब तीन बजे उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
एनडी तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा उन्होंने आंध्र प्रदेश राज्यपाल का पद भी संभाला। केंद्र में राजीव गांधी कैबिनेट में वित्त व विदेश मंत्री भी रहे। एनडी तिवारी 1976 में मुख्यमंत्री बने थे। उनकी गिनती कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में होती थी। वह अपने पीछे दूसरी पत्नी उज्जवला शर्मा और बेटा रोहित शेखर को छोड़ गए हैं।
नायाब नेता नारायण दत्त तिवारी ने राजनीति में खींची लंबी लकीर
एनडी तिवारी ने सोशलिस्ट पार्टी से अपना सियासी सफर शुरू किया और कांग्रेस में लंबा समय गुजारा। प्रदेश के दो राज्यों के मुख्यमंत्री बनने वाले देश के इकलौते नेता थे। एनडी तिवारी का लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के वक्त तिवारी ने भी आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। 1942 में जेल भी जा चुके हैं। उनको नैनीताल जेल में बंद किया गया था, जहां उनके पिता पूर्णानंद तिवारी पहले से ही बंद थे। देश की आजादी के समय नारायण दत्त तिवारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे।
तिवारी का अधिकांश राजनीतिक जीवन कांग्रेस के साथ रहा। जहां पर वह संगठन से लेकर सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका में रहे। इलाहाबाद छात्र संघ के पहले अध्यक्ष से लेकर केंद्र सरकार में योजना आयोग के उपाध्यक्ष, उद्योग, वाणिज्य पेट्रोलियम और वित्त मंत्री के रूप में तिवारी ने काम किया।
आजादी के बाद हुए उत्तर प्रदेश के पहले विधानसभा चुनावों में तिवारी ने नैनीताल (उत्तर) से सोशलिस्ट पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के खिलाफ जीत हासिल की थी। इसके बाद तिवारी ने 1963 में कांग्रेस ज्वाइन की थी।1965 में तिवारी पहली बार मंत्री बने थे। तिवारी तीन बार यूपी और एक बार उत्तराखंड की सत्ता संभाल चुके हैं। नारायण दत्त तिवारी एक जनवरी 1976 को पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। 1977 में हुए जेपी आंदोलन की वजह से 30 अप्रैल को उनकी सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था। उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद वे उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री बने थे।
कांग्रेस की कमान जब गांधी परिवार के हाथों से निकली तो वह पार्टी में अलग थलग पड़ गए थे। इसी का नतीजा था कि तिवारी ने 1995 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई, लेकिन सफल नहीं रहे। कांग्रेस की कमान जब सोनिया के हाथों में आई तो पार्टी बनाने के दो वर्ष बाद ही उन्होंने घर वापसी की। दो वर्षों के दौरान कांग्रेस में उनके लिए कोई केंद्रीय भूमिका नहीं रह गई थी।
कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अलग ढंग से उनका पुनर्वास किया। पहले उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बनाकर भेजा। 2007 में पार्टी चुनाव हारी तो तिवारी का पुनर्वास आंध्रप्रदेश के राज्यपाल के रूप में कर दिया गया।
 Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
 
		
 
 
						
 
						
 
						
 
						
 
						
