सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं पर फैसले का अधिकार संसद पर छोड़ दिया है। कोर्ट ने आपराधिक केस के कारण चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से इनकार किया। हालांकि, इसके लिए एक गाइडलाइन जारी की। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के नामांकन के बाद कम से कम तीन बार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए उनके आपराधिक रिकॉर्ड का प्रचार करें।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर डालें। इस पर कानून बनाने का वक्त आ गया है ताकि आपराधिक रिकॉर्ड वालों को सदन में जाने से रोका जा सके। भ्रष्टाचार और अपराधीकरण लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
वहीं सांसदों और विधायकों के वकालत करने पर रोक लगाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम विधायकों को वकील के रूप में अभ्यास करने से नहीं रोकते हैं। भाजपा नेता अश्वनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका दाखिल की थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, एएम खानविल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ ने गत 9 जुलाई को बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।