नई दिल्ली। लक्जरी कार खरीदना अब और महंगा हो जाएगा। सरकार ने नकदी से लेनदेन को कम करने तथा कालेधन पर रोक लगाने के मकसद से 10 लाख रुपये से अधिक की गाड़ियों पर एक प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान किया है।
यह नया कर एक जून, 2016 से लागू हो जाएगा। इसे गाड़ी बेचने वाले व्यक्ति को खरीदार से वसूलकर सरकार के खाते में जमा करना होगा।
सरकार ने वित्त विधेयक-2016 में संशोधन कर इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान किया है। लोकसभा ने गुरुवार को वित्त विधेयक को मंजूरी दी है। सरकार ने आयकर कानून 1961 की धारा 206 सी में संशोधन करते हुए 10 लाख से महंगी गाड़ियों पर एक प्रतिशत टैक्स लगाने का यह प्रावधान जोड़ा है।
वित्त मंत्रालय ने इस धारा में एक और महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इसके अनुसार दो लाख रुपये से अधिक की सेवा के भुगतान पर भी एक प्रतिशत टैक्स देना होगा।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है कि देश में महंगी कारों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। देखने में आया है कि अधिकांश लोग नकदी से ही लक्जरी गाड़ियां खरीदते हैं। नए प्रावधान से आयकर विभाग को यह भी पता चल जाएगा कि कार खरीदने वाला उक्त व्यक्ति करदाता है कि नहीं।
स्टार्ट अप को आयकर से छूट
सरकार ने नव उद्यम यानी स्टार्ट अप को आयकर से छूट देने का अपना वादा तो पूरा कर दिया है, लेकिन यह लाभ सिर्फ उन्हीं उद्यमों को मिलेगी, जिनका सालाना टर्नओवर एक अप्रैल, 2016 से 31 मार्च 2021 के दौरान किसी भी वर्ष में 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा। अगर किसी स्टार्ट अप का कारोबार इस सीमा से बाहर हो जाता है तो उसे आयकर से छूट नहीं मिलेगी।
वित्त विधेयक में संशोधन कर सरकार ने यह प्रावधान किया है। हालांकि, सरकार ने स्टार्ट अप को टैक्स संबंधी एक प्रोत्साहन भी दिया है। इसके अंतर्गत अब अगर कोई भी निवेशक किसी स्टार्ट अप में दो साल तक निवेश रखता है, तो उसे कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा।
इससे पूर्व स्टार्ट अप और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के निवेशकों को यह लाभ प्राप्त नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब स्टार्ट अप इंडिया कार्यक्रम लांच किया था, तो उस समय नवउद्यमों के लिए कई प्रोत्साहनों की घोषणा की थी।
ई-फाइलिंग की वैलिडेशन सुविधा चालू
आयकर विभाग ने शुक्रवार को ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने के लिए बैंक खाते पर आधारित वैलिडेशन सिस्टम को चालू कर दिया। इससे अब अपने बैंक खाते को ई-फाइलिंग वेबसाइट पर पहले से वैलिडेट करके इलेक्ट्रॉनिक वेरीफिकेशन कोड जनरेट किया जा सकता है। इस कदम का मकसद सालाना आयकर रिटर्न दाखिल करने से जुड़ी प्रणाली को पेपरलेस बनाना है। पंजाब नेशनल बैंक ऐसा करने वाला पहला बैंक बन गया है।