वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के सवाल पर कहा कि वह देश के उपभोक्ताओं की जरूरत को समझती हैं, लेकिन इस मामले में सरकार के सामने ‘धर्मसंकट की हालत’ है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे संकेत मिल रहे हैं जिनसे यह बात पुख्ता होती है कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है.
वित्त मंत्री जिस धर्मसंकट की बात कर रही हैं, असल में वह यह है कि तेल की कीमतें बाजार के हवाले हैं, यानी उनकी कीमत अब तेल कंपनियां तय करती हैं. दूसरी तरफ कोरोना काल में राजस्व संग्रह में आने वाली कमी को देखते हुए सरकार के लिए टैक्स में कटौती करना भी काफी मुश्किल काम है.
गौरतलब है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स का ही होता है. दिल्ली में 91 रुपये लीटर के आसपास जो पेट्रोल बिक रहा है, उस पर करीब 54 रुपये का टैक्स ही देना पड़ा रहा है. इसलिए कई तरफ से यह मांग उठ रही है कि पेट्रोल-डीजल पर टैक्सेज में कटौती की जाए.
शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री ने कहा, ‘हम भारतीय युवाओं पर फोकस करना चाहते थे, जो हमने बजट में किया भी है. हमारा बजट अगले 20 साल को ध्यान में रखकर बनाया गया है.’
क्या पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाएगा? इस सवाल पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बारे में जीएसटी कौंसिल विचार कर सकती है.
उन्होंने कहा कि इस समय अर्थव्यवस्था की हालत की बात करें तो इसके कई पहलू दिख रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं कई पक्षों से बात कर रही हूं. ज्यादातर उद्योगपतियों ने कहा कि अब कारखाने पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं और वे अब विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं.’
वित्त मंत्री ने कहा कि अब भर्तियों में सुधार हो रहा है. आईआईटी और आईआईएम का भी कहना है कि भर्ती में तेजी आई है, नौकरियों के बाजार में सुधार हो रहा है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूर वापस काम पर लौट रहे हैं, इससे भी अर्थव्यवस्था में सुधार का संकेत मिल रहा है. उन्होंने कहा कि बैंक अब होम लोन दरों में कटौती कर रहे हैं.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
